Thursday, April 25, 2024

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जबरन धर्म परिवर्तन कराने वालों को जाना होगा जेल, उत्तराखंड कैबिनेट ने कई अहम फैसलों पर लगाई मुहर 

अंग्वाल न्यूज डेस्क
जबरन धर्म परिवर्तन कराने वालों को जाना होगा जेल, उत्तराखंड कैबिनेट ने कई अहम फैसलों पर लगाई मुहर 

देहरादून। उत्तराखंड सरकार ने जबरन या किसी तरह का प्रलोभन देकर लोगों के धर्म परिवर्तन कराने पर कड़ा रुख अपनाया है। उत्तराखंड कैबिनेट ने इस संबंध में बड़ा फैसला लेते हुए कहा कि ऐसा करने वालों को सीधा जेल भेजा जाएगा। राज्य सरकार ने उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता विधेयक 2018 को बनाए जाने की तैयारी कर ली है। देर शाम हुई कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही कैबिनेट में कई अन्य फैसलों पर भी मुहर लगाई गई। राज्य में ‘होम स्टे’ योजना और नई आबकारी नीति को भी मंजूरी दी गई है। 

गौरतलब है कि प्रदेश सरकार ने राज्य में पशुओं की नस्लों के सुधार के लिए भी नई नीति बनाने पर जोर दे रही है। बता दें कि दूसरे राज्यों की तरह उत्तराखंड में भी धर्म परिवर्तन को लेकर एक्ट बनाने की तैयारी कर ली है। इस संबंध में एक प्रस्ताव कैबिनेट की बैठक में पेश किया गया है इसका उद्देश्य छद्म संस्थाओं या व्यक्तियों द्वारा प्रलोभन, दबाव या अन्य कारणों से धर्म परिवर्तन की घटनाओं को रोकना है।

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आपको बता दें कि प्रस्तावित एक्ट में यह गया है कि अगर कोई व्यक्ति किसी का जबर्दस्ती या किसी तरह का लालच देकर धर्म परिवर्तन कराता है तो पीड़ित पक्ष आरोपी के खिलाफ कोर्ट में मामला दर्ज करा सकता है। एक्ट की धारा तीन एवं चार में यह प्रावधान किया गया है कि दोष साबित होने पर 1 से 5 साल की सजा और जुर्माना होगा। अगर यही मामला अनुसूचित जाति या जनजाति के लोगों के साथ होगा तो उस सूरत में सजा की अवधि 2 से 7 सालों तक हो सकती है। किसी व्यक्ति या महिला को धोखे में रखकर शादी के बाद धर्म परिवर्तन कराया जाता है तो उस स्थिति में शादी को वैध नहीं माना जाएगा।  कैबिनेट में यह फैसला भी लिया गया कि अगर कोई भी व्यक्ति अपना धर्म परिवर्तन करना चाहता है कि उसे प्रस्तावित एक्ट के तहत वह धर्म परिवर्तन की तिथि से 1 महीने पहले संबंधित जिलाधिकारी को आवेदन करना होगा इसमें व्यक्ति को एक शपथ पत्र भी देना होगा कि वह किसी दबाव या प्रलोभन के कारण धर्म परिवर्तन नहीं कर रहा है।

प्रमुख फैसले

- प्रलोभन, छलावे या दबाव में धर्म परिवर्तन कराने वालों पर कार्रवाई के लिए उत्तराखंड धर्म स्वतंत्रता विधेयक-18 को बनाए जाने पर सहमति।

- होम स्टे योजना को भी लागू करने का फैसला। योजना के तहत वर्ष 2020 तक पांच हजार आवास बनाए जाएंगे। निर्माण में भी मदद करेगी सरकार।

- नई आबकारी नीति को मंजूरी। अब शराब के ठेकों की ऑनलाइन नीलामी होगी। साथ ही एक व्यक्ति चार ठेकों के समूह को भी ले सकेगा।

- उत्तराखंड अधीनस्त सेवा चयन आयोग में सदस्य का एक पद कम किया गया। अब अध्यक्ष के अलावा सिर्फ एक सदस्य ही आयोग में रहेगा।

- फाइनेंशियल हैंडबुक के तहत विभागाध्यक्षों, कार्यालय अध्यक्षों केे वित्तीय अधिकारों में बढ़ोत्तरी। अब छोटी-छोटी बातों पर फाइल शासन नहीं आएगी।

- उपनल के ढांचे में रखे गए लोगों के अलावा ब्रिडकुल के 11 स्थायी कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों का लाभ देने का फैसला।

- उत्तराखंड अधीनस्थ अभियंता सिंचाई सेवा नियमावली, उत्तराखंड अल्पसंख्यक कल्याण विभाग व्यक्तिक सहायक सेवा नियमावली को मंजूरी मिली।

- भूमि अर्जन अमीन, भूमि अध्याप्ति निरीक्षक सेवा नियमावली व उत्तराखंड भू-सर्वेक्षण तथा अभिलेख प्रक्रियाओं के कर्मियों की सेवानियमावली मंजूर।

- उत्तराखंड बाढ़ मैदान परिक्षेत्र अधिनियम-12 की धारा-8 के तहत आपत्तियां करने के लिए समय सीमा छह माह से बढ़ाकर डेढ़ साल की गई।

- मध्यान भोजन बनाने वाली संस्था अक्षय पात्र को देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर, नैनीताल में लीज पर भूमि देने के लिए डीएम अधिकृत।

- नैनीताल के बवार डोबा गोनियारो गांव में बीएसएनएल को टावर बनाने व अन्य कार्यों के लिए लगभग तीन सौ वर्ग मीटर भूमि निशुल्क आवंटित। इन फैसलों पर भी लगी मुहर 

- उत्तराखंड महाधिवक्ता कार्यालय अधिष्ठान सेवा नियमावली में सीधी भर्ती के लिए आवेदन तक रोजगार कार्यालय में पंजीकरण अनिवार्य किया।


- उत्तराखंड राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष का वेतन 80 हजार प्रतिमाह से बढ़ाकर सवा दो लाख किया गया। सदस्यों के वेतन भी बढ़ाए गए।

- उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम की वर्ष 2005 में समाप्त हो चुकी धारा 68(ए) के तहत चल रहे मामले होंगे समाप्त।

- उत्तराखंड राष्ट्रीय विधि विद्यालय अधिनियम की धाराओं में संशोधन करते हुए इसकी स्थापना का अधिकार अब राज्य सरकार के पास रहेगा।

- दून विश्वविद्यालय अधिनियम-2005 के तहत कुल सचिव, सहायक कुल सचिव आदि की नियुक्ति में भी होगा राज्य सरकार का पूरा दखल।

- उत्तराखंड गैर अनुदानित निजी शिक्षण संस्थाओं की फीस कमेटी के अध्यक्ष पद के लिए आयु सीमा को 62 वर्ष से बढ़ाकर 70 वर्ष किया गया।

- एक अक्टूबर 2005 से पूर्व नियुक्त अंशकालिक, तदर्थ, संविदा आदि अस्थायी कर्मचारियों को पेंशन नहीं। एक्ट लाने पर कैबिनेट का फैसला।

- इनवेस्टर समिट के लिए सीआईआई को पार्टनर बनाने पर फैसला। पचास लाख मैनेजमेंट फीस और 35 लाख राउंड टेबल कांफ्रेंस की फीस देंगे।

- पछुआदून स्थित एयरफोर्स-नेवल हाउसिंग बोर्ड के 70 मकानों की बिक्री आर्मी के जवानों की विधवाओं और अर्धसैनिक बलों को ही बेचे जाएंगे।

- गाय और भैसों की प्रजातियों को बेहतर करने के मकसद से गोवंशीय एवं महिषवंशीय पशु प्रजनन अधिनियम-2018 बनाने पर बनी  सहमति।

- अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम के संचालन का जिम्मा आईएलएफएस कंपनी को दिया जाएगा। कंपनी को 2.8 एकड़ भूमि भी होगी आवंटित।

- पेट्रोलियम यूनिवर्सिटी में मेडिकल, डेंटल, इंजीनियरिंग, इनवायरमेंटल साइंस, सोशल स्टडीज आदि के कोर्स संचालित किए जाने की भी मंजूरी।

- पैरा मेडिकल में एडमिशन के लिए इंट्रेंस टेस्ट देना होगा। इसी आधार पर मेरिट बनेगी और उसी आधार पर दाखिले करने पर कैबिनेट की सहमति।

- कक्षा एक से बारह तक के बच्चों को एनसीईआरटी की किताबों का पैसा डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर से दिए जाने संबंधी प्रस्ताव पर लगी मुहर।

- राइट ऑफ वे नीति बनाने पर कैबिनेट की सहमति। इस नीति के तहत आवासीय क्षेत्रों में भी मोबाइल टॉवर लगाने को मिलेगी अनुमति।

 

 

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