देहरादून। उत्तराखंड में ओएनजीसी में नौकरी दिलाने के नाम पर एक बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। इसमें उत्तराखंड और बिजनौर के करीब 40 युवाओं से 6-6 लाख रुपये ठग लिए गए। अब पीड़ितों ने एसएसपी निवेदिता कुकरेती से शिकायत की है। ढाई करोड़ से अधिक की ठगी के इस मामले में एसएसपी ने कैंट पुलिस को मुकदमा दर्ज कर जांच के आदेश दिए हैं। पुलिस इस मामले में ओएनजीसी के अधिकारियों की मिलीभगत की भी संभावना जता रही है।
गौरतलब है कि साल 2016 में ओएनजीसी में असिस्टेंट, एग्जीक्यूटिव असिस्टेंट और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के पदों पर भर्ती का विज्ञापन रोजगार समाचार पत्र में निकाला गया था। नौकरी पाने की आस में बड़ी संख्या में नौजवानों ने इसमें आवेदन किया था। आवदेन करने वाले नौजवानों से शिवोम नाम के एक व्यक्ति ने खुद को ओएनजीसी में बड़ा अधिकारी बताते हुए करीब 40 आवेदकों से संपर्क किया। उसने इन्हें नौकरी का झांसा देने के लिए अलग से फाॅर्म भरवाया।
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यहां बता दें कि शिवोम ने बिजनौर निवासी पीड़ित मंजुल कुमार रवि और दून के लाड़पुर निवासी रोहित कुमार ने बताया कि आवेदन पत्र भरने के बाद उनसे 6 लाख रुपये बतौर सिक्योरिटी जमा करने को कहा गया। मंजुल ने 5 लाख नकद और 1 लाख रुपये एनईएफटी के जरिए शिवोम के खाते में जमा कराए। वहीं दून निवासी रोहित ने 5 लाख नकद और 1 लाख रुपये का चेक दिया। पैसे लेने के बाद शिवोम ने इन लोगों की लिखित परीक्षा और साक्षात्कार कराने के बाद उन्हें फर्जी नियुक्ति पत्र थमा दिया। यहां तक की ओएनजीसी का गेट पास, ट्रेनिंग लेटर और आईकार्ड भी दे दिया। जब काफी दिनों तक उन्हें ज्वानिंग नहीं मिली तो उन्होंने ओएनजीसी ऑफिस में संपर्क किया इसके बाद उन्हें पता चला कि ज्वाइनिंग लेटर समेत सभी दस्तावेज फर्जी हैं।
गौर करने वाली बात है कि शिवोम ने जिस तरह से ओएनजीसी कैम्पस में ही फर्जी परीक्षा और साक्षात्कार कराए उससे ओएनजीसी के अधिकारियों के भी इसमें शामिल होने की आशंका जताई जा रही है। नौजवानों को शक न हो इसके लिए ठगों ने कुछ युवाओं का टेस्ट दून में तो कुछ का दिल्ली में कराया गया। अब एसएसपी निवेदिता कुकरेती ने कहा है कि इस संबंध में जांच की जाएगी।