देहरादून। राज्य में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर भर्ती हुए 14 फाॅरेस्ट गार्डों की नौकरी पर तलवार लटक गई है। अब इन गार्डों से विभाग ने स्पष्टीकरण मांगा है। आरटीआई के तहत मांगी गई जानकारी में इस बात का खुलासा हुआ है कि पहले ये अलग-अलग रेंजों में दिहाड़ी मजदूर के तौर पर काम करते रहे और भर्ती के समय फर्जी हाईस्कूल सर्टिफिकेट जमाकर गार्ड बन गए। बता दें कि ये सभी गार्ड 2013 से 2016 के बीच भर्ती हुए थे।
शासन ने मांगी सूची
गौरतलब है कि फर्जी तौर पर भर्ती हुए इन फाॅरेस्ट गार्डों ने खुद को जिस जिले के हाईस्कूल का परीक्षार्थी बताया वहां इनका कोई रिकाॅर्ड ही नहीं है जबकि कई के यूपी और उत्तराखंड बोर्ड के समकक्ष या मान्यताप्राप्त बोर्ड के सर्टिफिकेट नहीं हैं। पीसीसीएफ मोनिष मल्लिक ने बताया कि जिन कर्मचारियों के सर्टिफिकेट को लेकर शिकायतें मिली हैं उनसे स्पष्टीकरण मांगा जा रहा है। अब तक 11 से ज्यादा फॉरेस्ट गार्डो को चार्जशीट दी चुकी है। उन्होंने कहा कि जो भी गार्ड पर्याप्त सबूत पेश नहीं कर पाएगा उसे बर्खास्त किया जाएगा। शासन की तरफ से भी विवादित प्रमाण पत्रों वाले फाॅरेस्टरों की सूची तलब की गई है।
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इनके हैं फर्जी दस्तावेज
फॉरेस्ट गार्ड नवल पाठक, संतोष कुमार, विनोद कुमार, श्याम लाल (हरिद्वार), जीवन नाथ, भगत राम, राम सिंह, बल¨बदर सिंह, अरुण कुमार (दून वन प्रभाग) इनमें राम सिंह व बल¨बदर सिंह अब कुमाऊं क्षेत्र में तैनात हैं। फॉरेस्टर बृजमोहन व जगमोहन (लैंसडौन), रेखा बहुगुणा व नरेंद्र डुंगरियाल (बद्रीनाथ)। विक्रम सिंह (राजाजी पार्क)।
ये हुए बर्खास्त
फॉरेस्ट गार्ड जाकिर हुसैन, कुलदीप सिंह, सूर्य प्रकाश व गौरव कुमार (राजाजी पार्क)। इनमें गौरव हाईकोर्ट से स्टे पर हैं। जगत सिंह बिष्ट (कार्बेट), शिव सिंह, ख्याली राम व हरि सिंह (बद्रीनाथ वन प्रभाग)। फॉरेस्ट गार्ड नंद किशोर (राजाजी पार्क) का डिमोशन हो चुका है।