देहरादून। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों का प्राईवेट स्कूलों में पढ़ने का सपना टूट सकता है। राज्य सरकार ने शिक्षा का अधिकार (आरटीई) कानून के तहत प्राईवेट स्कूलों में 25 फीसदी सीटें आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों के लिए आरक्षित रखने की व्यवस्था को अगले साल से खत्म करने का मन बना लिया है। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे का कहना है कि सरकार अब यह सुविधा सिर्फ जरूरतमंद बच्चों को ही देगी।
योजना में संशोधन
गौरतलब है कि विद्यालयी शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने साफ तौर पर कहा है कि इस योजना की वजह से राज्य के ऊपर आर्थिक बोझ बढ़ता जा रहा है। वर्तमान में निजी स्कूलों में 1.10 लाख छात्र-छात्राएं इस कोटे के तहत पढ़ रहे हैं और इनकी फीस के लिए सालाना करीब 120 करोड़ रुपये की जरूरत होती है। बता दें कि पार्टी मुख्यालय में पत्रकारों से बात करते हुए शिक्षा मंत्री ने कहा कि मौजूदा वक्त में राज्य पर प्राईवेट स्कूलों की करीब 91 करोड़ की देनदारी हो चुकी है। उन्होंने कहा कि इस योजना का लाभ वास्तविक जरूरतमंद व्यक्ति को मिल भी रहा है या नहीं यह भी जांच का विषय है। आपको बता दें कि राज्य का वित्त विभाग भी इस योजना को संशोधित करने का सुझाव दे चुका है।
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