देहरादून। एमबीबीएस और पीजी की फीस को लेकर राज्य के निजी काॅलेज और सरकार आमने-सामने आ गए हैं। काॅलेज फीस के निर्धारण का अधिकार किसी भी कीमत पर छोड़ने को तैयार नहीं है जबकि छात्रों के विरोध के बाद सरकार ने इसे खुद तय करने का फैसला लिया है। इस तनातनी के बीच प्रवेश एवं शुल्क नियामक समिति की 16 अप्रैल को बैठक बुलाई गई है। बता दें कि पीजी सीटों पर चल रहे दाखिले के लिए निजी काॅलेजों द्वारा पाठ्यक्रम की फीस तय करने को लेकर विवाद बढ़ गया है।
गौरतलब है कि ऐसी शिकायतें मिलने पर चिकित्सा शिक्षा निदेशालय ने निजी मेडिकल कॉलेजों के रवैये की शिकायत सरकार से की है। सरकार ने एक बार फिर कॉलेजों की मनमानी पर अंकुश लगाने को प्रवेश एवं शुल्क नियामक समिति की बैठक 16 अप्रैल को बुलाई है। समिति फीस तय किए जाने को लेकर निजी कॉलेजों के दावे को लेकर अहम फैसला ले सकती है।
ये भी पढ़ें - तबादला एक्ट पर विभागों में तालमेल की कमी, सुगम-दुर्गम तय करने की प्रक्रिया में मतभेद
आपको बता दें कि निजी काॅलेजों द्वारा एमबीबीएस और पीजी सीटों पर फीस को लेकर सरकार ने अपना रुख कड़ा कर दिया है। बता दें कि फीस बढ़ोतरी को लेकर प्रदेश में छात्रों और अभिभावकों ने जमकर प्रदर्शन किया था। मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद काॅलेजों की बढ़ी हुई फीस वापस लेनी पड़ी थी लेकिन सरकार और कॉलेजों के दावों के विपरीत पीजी सीटों पर दाखिले के दौरान फीस के मामले में फिर अजीबोगरीब हालात पैदा हो गए हैं।
यहां बता दें कि निजी काॅलेजों का कहना है कि उनके यहां दाखिला लेने वाले छात्रों के लिए फीस निर्धारित करने का अधिकार उनका है। काॅलेजों के इस फैसले के बाद कुछ छात्र हाईकोर्ट चले गए थे। चिकित्सा शिक्षा निदेशक डॉ आशुतोष सयाना ने कहा कि प्रवेश एवं शुल्क नियामक समिति निजी कॉलेजों को फीस के बारे में हिदायत दे चुकी है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर गठित इस कमेटी को फीस निर्धारण का अधिकार है। समिति ने श्री गुरु राम राय काॅलेज को इसके लिए नोटिस भी भेज चुकी है।