देहरादून। उत्तराखंड सरकार ने छात्रों को बड़ी राहत दी है। सरकार ने छात्रों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति में संशोधन का दिया है। शासन की तरफ से जारी आदेश में में संशोधन किया गया है। संशोधन के मुताबिक, सत्यापन प्रमाण-पत्र की अनिवार्यता और बायोमीट्रिक उपस्थिति की शर्त को हटा दिया गया है।
ये हुए संशोधन
गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले समाज कल्याण विभाग की तरफ से दी जाने वाली छात्रवृत्ति में बड़ा घोटाला सामने आया था। इसके बाद शासन ने 3 मई 2017 को वर्ष 2014-15, 2015-16 एवं 2106-17 के दौरान आवंटित छात्रवृत्ति के सत्यापन का निर्णय लिया था। इसी क्रम में सभी जिलाधिकारियों को एक महीने के भीतर सत्यापन करने के निर्देश दिए थे। शासन ने छात्रवृत्ति के एवज में 38 करोड़ रुपये की राशि विभाग को जारी कर दी गई। मगर विभाग ने यह राशि छात्रों में नहीं बांटी। आपको बता दें कि छात्रों के सत्यापन और बायोमैट्रिक हाजिरी जरूरी कर दी गई थी।
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भौतिक सत्यापन की अनिवार्यता समाप्त
यहां यह बात भी गौर करने वाली बात है कि समाज कल्याण मंत्री यशपाल आर्य ने विभाग की समीक्षा बैठक में छात्रवृत्ति देने के निर्देश दिए थे। मंत्री ने अपर मुख्य सचिव डॉ. रणबीर सिंह ने छात्रवृत्ति को लेकर पूर्व में जारी शासनादेश में संशोधन करते हुए उसकी शर्तों में थोड़ी ढील दी है। इसके तहत जिलाधिकारियों के भौतिक सत्यापन की अनिवार्यता को खत्म कर दिया गया है। साथ ही स्कूलों में बायोमीट्रिक हाजिरी की शर्त को भी शासनादेश से हटाया गया है। इस संशोधन से विभाग के लिए छात्रवृत्ति बांटने में आसानी हो जाएगी।