देहरादून। उत्तराखंड में निजी स्कूलों में पढ़ने की इच्छा रखने वाले बच्चों और उनके माता-पिता को एक बड़ा झटका लगने वाला है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत उत्तराखंड के निजी स्कूलों में गरीब बच्चों के दाखिले को सरकार कम करने जा रही है। बता दें कि अभी तक 25 फीसदी सीटों पर प्रवेश दिया जाता है। ऐसे में गरीब बच्चों के सपने टूटने की संभावना बढ़ गई है। बजट के अभाव में महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा ने अधिकारियों को पत्र भेजकर निजी स्कूलों में सीमित सीटों पर प्रवेश देने के निर्देश दे दिए हैं।
गौरतलब है कि अभी इस बात को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया गया है कि कितनी फीसदी सीटें कम होंगी। बता दें कि आरटीई के तहत शिक्षा विभाग निजी स्कूलों में जितने भी गरीब बच्चों का दाखिला कराता है तो उसके बदले में उसे शुल्क का भुगतान करना होता है। बड़ी बात यह है कि चूंकि यह योजना केंद्र सरकार की है ऐसे में इसके लिए शुल्क का बजट भी वहीं से जारी होता है। अब केंद्र की ओर से इसका भुगतान नहीं किया जा रहा है।
यहां बता दें कि केंद्र सरकार गरीब बच्चों की किताबें और ड्रेस आदि का खर्च केंद्र सरकार तो दे रही है लेकिन दाखिला शुल्क नहीं मिल रहा है। ऐसे में निजी स्कूल प्रबंधन अब इस योजना पर खास ध्यान नहीं दे रहा है। सरकारी दवाब के चलते स्कूलों में दाखिले करवा तो दिए गए लेकिन अब स्कूल शुल्क भुगतान का दवाब बना रहे हैं।
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गौर करने वाली बात है कि शिक्षा विभाग ने आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए सभी निजी स्कूलों को पत्र लिखकर सीमित सीटों पर ही दाखिला देने के निर्देश दिए हैं। शिक्षा महानिदेशक कैप्टन आलोक शेखर तिवारी ने कहा कि केंद्र सरकार में इस बिंदु को उठाया गया था। एक्ट के अनुसार, राज्य सरकार पहले अपने बजट से भुगतान करती है और भुगतान के बाद रसीद जमा करने पर केंद्र बजट जारी करती है लेकिन राज्य सरकार साफ कर चुकी है कि हमारे पास पैसा नहीं है। हमने शिथिलीकरण की मांग की लेकिन केंद्र ने इससे पूरी तरह इंकार कर दिया है।