देहरादून। पहाड़ों से होने वाले पलायन को रोकने के लिए त्रिवेन्द्र रावत सरकार कई कदम उठा रही है। अब सरकार की तरफ से वहां के मसालों और पहाड़ों में उगने वाली जड़ी-बूटियों पर ध्यान केन्द्रित करने जा रही है। इसके लिए सरकार की तरफ से तीन कमेटी भी गठित कर दी गई है। त्रिवेन्द्र रावत सरकार ने अब नौजवानों की मदद के लिए फल-पौधशाला कानून और नियमावली बनाने की तैयारी कर रही है।
विशेषज्ञों की कमेटी
गौरतलब है कि उत्तराखंड में पहाड़ी इलाकों से होने वाला पलायन हमेशा से एक बड़ा मुद्दा रहा है। त्रिवेन्द्र रावत सरकार ने अब ऐसे नौजवानों की मदद के लिए फल-पौधशाला कानून और नियमावली बनाने की तैयारी कर रही है। इसके लिए लिए विशेषज्ञों की अलग-अलग कमेटियां भी बना दी गई हैं। इस समिति को 15 दिन के भीतर रिपोर्ट देनी होगी। उद्यान निदेशक डॉ. बीएस नेगी इसके अध्यक्ष बनाए गए हैं। इसके अलावा फल-सब्जी और जड़ी-बूटी के विशेषज्ञ नृपेंद्र चौहान, डॉ. बीपी नौटियाल, डॉ. एसके सिंह, डॉ. डीसी डिमरी, डॉ. आरके सिंह और डॉ. बीपी भट्ट को समिति सदस्य बनाया है।
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निवेशकों को आकर्षित करने में मदद
आपको बता दें कि राज्य में जड़ी-बूटी, कृषि और चाय के विकास के लिए अपर सचिव उद्यान की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई गई है। इस समिति में उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण चौबटिया, जड़ी-बूटी शोध एवं विकास संस्थान गोपेश्वर, चाय विकास बोर्ड के निदेशकों के साथ ही भेषज इकाई के सीईओ, सगंध पौधा केंद्र सेलाकुई के वैज्ञानिक प्रभारी और सचिव राजस्व की ओर से नामित प्रतिनिधि सदस्य होंगे। ऐसा होने से पलायन को रोकने और निवेशकों को राज्य में आकर्षित करने में मदद मिलेगी।