देहरादून। राज्य में विशिष्ट बीटीसी का कोर्स कर चुके शिक्षकों के भविष्य पर अभी भी असमंजस बरकरार है। इन शिक्षकों को लेकर केन्द्र और राज्य दोनों सरकारों ने अभी तक अपना रुख साफ नहीं किया है जबकि डीएलएड और ब्रिज कोर्स के लिए आवेदन करने के लिए काफी कम समय बचा है। बता दें कि एनटीसीई ने सभी शिक्षकों के लिए डीएलएड ब्रिज कोर्स करना अनिवार्य कर दिया है। कोर्स नहीं करने वाले शिक्षकों की सेवा 31 मार्च 2019 के बाद खत्म कर दी जाएगी।
शिक्षकों का भविष्य
गौरतलब है कि राज्य में शिक्षकों का एक बड़ा तबका ऐसा है जो विशिष्ट बीटीसी का कोर्स कर चुके हैं। शिक्षा विभाग के अधिकारियों की लापरवाही की वजह से अब ये शिक्षक अप्रशिक्षितों की श्रेणी में आ गए हैं और इन्होंने किसी भी सूरत में कोर्स न करने का ऐलान कर दिया है। यहां तक की मामला नहीं सुलझने की स्थिति में कोर्ट तक जाने की बात कह चुके हैं। वहीं केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय और राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनटीसीई) ने सभी शिक्षकों के लिए डीएलएड का 6 महीने वाला कोर्स करना अनिवार्य कर दिया है। यह कोर्स एनआईओएस के द्वारा कराया जा रहा है। पहली से 5वीं तक पढ़ा रहे शिक्षकों के लिए दो साल का डीएलएड कोर्स जरूरी है जबकि बीएड वालों को ब्रिज कोर्स करना है। एनटीसीई ने साफ कह दिया है कि डीएलएड का कोर्स नहीं करने वाले शिक्षकों की सेवा 31 मार्च 2019 के बाद खत्म कर दी जाएगी।
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एनसीटीई ने मान्यता से किया मना
आपको बता दें कि इस कोर्स को लेकर शिक्षकों में एक डर का माहौल भी है एक तरफ जहां प्राथमिक शिक्षक संघ के आह्वान पर उन्होंने ब्रिज कोर्स के लिए आवेदन न करने का संकल्प लिया है तो वहीं मान्यता का मुद्दा हल नहीं होने पर नौकरी जाने का भी खतरा मंडरा रहा है। यहां बता दें कि 2010 के बाद नियुक्त कुछ युवा शिक्षकों ने कहा कि एनसीटीई ने विशिष्ट बीटीसी कोर्स को बैक डेट से मान्यता देने से मना कर दिया है।