देहरादून। उत्तराखंड सरकार ने अपनी स्वच्छ और भ्रष्टाचार पर जीरो टाॅलरेंस की नीति पर पूरी तरह से अडिग है। इसके तहत वित्तीय अनियमितता बरतने वाले राज्य के 29 नगर निकायों की जांच के आदेश दिए हैं। बता दें कि इन निकायों की वर्ष 2011 से लेकर वर्ष 2016 के दौरान कर गतिविधियों की जांच होगी। निदेशक-लेखा परीक्षा (ऑडिट) की रिपोर्ट में इन निकायों में बड़े पैमाने पर घपलों का खुलासा हुआ है। शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक के निर्देश पर अपर सचिव-शहरी विकास विनोद कुमार ने इसके आदेश जारी कर दिए हैं। गौरतलब है कि मामले की जांच के लिए अपर सचिव-शहरी विकास विनोद कुमार ने 10 जिलों के डीएम को आदेश जारी किए हैं। इन सभी जिलों में एडीएम वित्त, आॅडिट रिपोर्ट मंे पकड़े गए घपलों की जांच करेंगे। बता दें कि जांच के लिए 15 दिनों का वक्त दिया गया है। अपर सचिव ने बताया कि दोषी पाए जाने वाले अधिकारियों, कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। सभी जिलाधिकारियों को ऑडिट रिपोर्ट भेजी जा रही है।
इनकी होगी जांच
नगर निगम (1) हरिद्वार।
नगर पालिका (10) पिथौरागढ़, धारचूला, जोशीमठ, देवप्रयाग, नरेंद्रनगर, ऋषिकेश, उत्तरकाशी, बड़कोट, श्रीनगर, कोटद्वार।
नगर पंचायत (18) भीमताल, डीडीहाट, द्वाराहाट, नंदप्रयाग, पोखरी, गौचर, कीर्तिनगर, मुनि की रेती, लंढौरा, चिन्यालीसौड़, पुरोला, गंगोत्री, दिनेशपुर, केलाखेड़ा, सुल्तानपुर, महुवाखेड़ा गंज, कालाढुंगी, महुवाडाबरा।
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ये हैं आरोप
समय पर काम पूरा न करने वाले ठेकेदारों से वसूली नहीं
बिजली के उपकरण मनमाने दाम पर खरीदे
गुणवत्ताहीन काम करने वाली निर्माण एजेंसियों को भी भुगतान
कार्मिकों को अग्रिम स्वीकृत वेतन की वसूली नहीं की गई
व्यापार कर, आयकर, सेस का पैसा राजकोष में जमा नहीं कराया
कर्मचारियों की ग्रेड पे का मनमाने ढंग से निर्धारण
ईपीएफ खातों में नियोक्ता के अंशदान की कटौती नहीं की
विभिन्न प्रकार के टैक्स की वसूलियां नहीं की
दुकान किराया नहीं वसूला, क्रेट दीवार का ज्यादा भुगतान
होटलों के मनमाने ढंग से टैक्स निर्धारण कर सरकार को चूना
तहबाजारी के ठेकों में नियमों का उल्लंघन