देहरादून। उत्तराखंड सरकार के विभागों के बीच सबकुछ ‘आॅल इज वेल’ नहीं है। अपने चहेती अधिकारी की प्रतिनियुक्ति को लेकर मंत्री हरक सिंह रावत और अरविंद पांडे आमने-सामने आ गए हैं। हरक सिंह रावत की करीबी रही शिक्षा अफसर दमयंती रावत को भवन एवं श्रमिक कल्याण बोर्ड में अपर कार्याधिकारी पद पर प्रतिनियुक्ति मामले में सरकार ने एनओसी देने से इनकार कर दिया है। शिक्षा सचिव डॉक्टर भूपेंद्र कौर औलख ने इस बाबत महानिदेशक को पत्र जारी कर दिया है।
एनओसी खारिज
गौरतलब है कि त्रिवेन्द्र रावत सरकार के इस फैसले को श्रम मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। बता दें कि हरक सिंह ने शिक्षा विभाग से बिना अनुमति लिए ही दमयंती की मूल विभाग शिक्षा से प्रतिनियुक्ति पर लेने का एकतरफा निर्णय कर लिया था। इसके बाद शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत से दिशानिर्देश मांगे थे। मुख्यमंत्री कार्यालय के इंकार के बाद शिक्षा सचिव ने एनओसी का प्रस्ताव खारिज कर दिया है।
ये भी पढ़ें - दून में सिटी बस में एक बार फिर महिला से छेड़छाड़, पुलिस ने चार युवकों को किया गिरफ्तार
पहले भी कृषि विभाग में प्रतिनियुक्ति पर रहीं
आपको बता दें कि शिक्षा सचिव ने अपने पत्र में कहा है कि दमयंती रावत पहले भी कृषि विभाग में प्रतिनियुक्ति पर रही हैं। 20 मई 2016 में शासन ने उनकी प्रतिनियुक्ति खत्म कर दी थी। इसके एक साल के बाद भी उन्होंने अपने मूल विभाग, शिक्षा विभाग में ज्वाइन नहीं किया। बिना बताए विभाग से गायब रहने पर उन्हें चार्जशीट भी दी जा चुकी है जिसका कोई जवाब नहीं दिया गया है। यही वजह है कि उन्हें अब तक एनओसी नहीं दी गई है।
अनुशासनहीनता के खिलाफ जांच
यहां बड़ी बात यह है कि दमयंती रावत के अपने मूल विभाग में ज्वाइन न करने के खिलाफ जांच भी बैठ गई है। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने सवा साल तक विभाग में ज्वाइन न करने, तबादला आदेश का उल्लंघन, चार्जशीट का जवाब न देने को गंभीर अनुशासनहीनता माना है। उन्होंने शिक्षा सचिव को मामले की जांच व कार्रवाई में ढिलाई करने वाले अफसर चिह्न्ति कर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। दूसरे विभागों में प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत शिक्षक और अफसरों का ब्योरा भी मांगा है।