देहरादून। पौड़ी नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष यशपाल बेनाम के खिलाफ वित्तीय अनियमितताओं के आरोप लगे हैं। यशपाल बेनाम पर लगे वित्तीय अनियमितता के सात में से तीन आरोप गढ़वाल मंडलायुक्त और डीएम की जांच में सही साबित हुए हैं। इस आधार पर शासन ने नगरपालिका परिषद अध्यक्ष के वित्तीय अधिकारों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। पौड़ी के जिलाधिकारी को अग्रिम आदेशों तक पालिका के वित्तीय अधिकारों का जिम्मा सौंपा गया है। इस संबंध में शहरी विकास सचिव राधिका झा ने आदेश जारी कर दिए गए हैं।
वित्तीय अधिकारों पर लगी रोक
गौरतलब है कि यशपाल बेनाम पर साल 2000 से लेकर 2004 के बीच हुई वित्तीय अनियमितताओं के आरोप कई सभासदों ने जिलाधिकारी से शिकायत की थी। पिछली सरकार ने इन शिकायतों की जांच गढ़वाल मंडलायुक्त से कराई थी। मंडलायुक्त ने 10 अक्टूबर, 2005 और 4 अगस्त, 2006 को जांच रिपोर्ट शासन को सौंप दी थी। इसके बाद पालिका अध्यक्ष यशपाल बेनाम को कारण बताओ नोटिस जारी कर आरोपों पर पक्ष रखने का मौका दिया गया था। उनके द्वारा अपना पक्ष सामने रखने के बाद उनपर लगाए गए सात आरोपों में से तीन सही पाए गए। आरोपों के सही पाए जाने के बाद शासन ने उनके वित्तीय अधिकार पर रोक लगा दी।
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गेस्ट हाउस तोड़कर सामान बेचने के आरोप
गढ़वाल मंडलायुक्त की जांच रिपोर्ट में इस बात का पता चला कि पालिका के गेस्टहाउस के बारे में पीडब्ल्यूडी निर्माण खंड के सहायक अभियंता ने भवन सुरक्षित नहीं होने का प्रमाणपत्र दिसंबर, 2000 को जारी किया। जांच रिपोर्ट में यह निष्कर्ष दिया गया कि भवन ध्वस्तीकरण का प्रस्ताव बोर्ड से विधिवत पास नहीं कराया गया। इसमें तत्कालीन अधिशासी अधिकारी आरपी सेमवाल को भी दोषी माना गया है।
गलत तरीके से कूपन छापने और बेचने का आरोप
जांच में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि यशपाल बेनाम पर ग्रीष्मोत्सव के लिए गलत तरीके से कूपन छपवाने और बेचने का काम किया। ग्रीष्मोत्सव पर 15 लाख रुपये खर्च किए गए लेकिन पालिका निधि से आहरित इस धनराशि के बारे में बोर्ड बैठक में प्रस्ताव को अनुमोदित नहीं कराया गया। जांच में इसे गंभीर अनियमितता माना गया है। पालिका ने कूपन छपवाने का बिल तो जमा किया लेकिन कूपन से कितने रुपये की आमदनी हुई इस बात की जानकारी नहीं दी गई है।
शरदोत्सव के नाम पर घपला
जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि नगरपालिका अध्यक्ष ने तत्कालीन क्षेत्रीय विधायक सुंदरलाल मंद्रवाल की ओर से शरदोत्सव 2004 के लिए 20 लाख रुपये देने के आश्वासन पर पालिका निधि से उक्त धनराशि खर्च कर दी। जांच रिपोर्ट में इसे वित्तीय अनियमितता माना गया। उक्त धनराशि की विधायक निधि से प्रतिपूर्ति नहीं हुई। हालांकि अपने वित्तीय अधिकार को सीज किए जाने को यशपाल बेनाम राजनीति से प्रेरित बता रहे हैं। उनका कहना है कि शासन ने जो भी निर्णय लिए हैं वे निराधार हैं।