देहरादून। प्रदेश में गंगा और उसकी सहायक नदियों में फैलाए जा रहे प्रदूषण और अवैध खनन के बढ़ते मामलों के लेकर मुख्य सचिव एस रामास्वामी और महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर द्वारा इसकी समीक्षा की गई। इसमंे हाईकोर्ट, ग्रीन ट्रिब्यूनल में दायर की गई याचिकाओं पर भी विचार किया गया और संबंधित विभागों को इस पर कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं।
सीवर ट्रीटमेंट प्लांट बनाने के निर्देश
गौरतलब है कि गंगा और यमुना नदी को जीवित आदमी का दर्जा मिला हुआ है। इसमें प्रदूषण फैलाने और गंदगी करने वालों के खिलाफ सरकार की तरफ से कई नियम बनाए गए हैं। समीक्षा बैठक में संबंधित अधिकारियों से इन नियमों को सख्ती से पालन कराने के निर्देश दिए गए हैं। अधिकारियों को इस बात के भी निर्देश दिए गए कि गंगा में प्रदूषण को रोकने के लिए नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत सीवर ट्रीटमेंट प्लांट के निर्माण और नालों के डायवर्जन सम्बन्धी जो भी योजनाएं स्वीकृत हुई हैं, उनका टेंडर समय सीमा के अंदर किया जाए।
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अधिकारियों को सख्त निर्देश
आपको बता दें कि गंगा नदी में कूड़ा फेंकने पर ग्रीन ट्रिब्यूनल की तरफ से बड़े जुर्माने का प्रावधान किया है। राज्य के मुख्य सचिव और महाधिवक्ता की समीक्षा बैठक में गंगा के किनारे कूड़ा निस्तारण के लिए नगर निकायों द्वारा जमीन की व्यवस्था की जाए। इसके साथ ही गंगा के अलग-अलग घाटों और श्मशान घाटों को प्रदूषणमुक्त बनाने के भी निर्देश दिए गए। समीक्षा बैठक में राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भी इस बात के निर्देश दिए गए कि प्रदूषण फैलाने वाले इकाइयों पर रोक लगाने की कार्रवाई करे। बैठक में नगर विकास के अधिकारियों को यह भी निर्देश दिए गए कि कूड़ा निस्तारण एक्ट को शहरों के साथ-साथ ग्रामीण इलाकों में भी लागू किया जाए। अदालत या राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण द्वारा इससे संबंधित जो भी अग्रिम आदेश दिए गए हैं उन्हें एक जगह पर संकलित किया जाए ताकि इन आदेशों/निर्णयों के सन्दर्भ में समग्र रूप से विचार करने तथा अन्तर्विभागीय समन्वय की प्रक्रिया में आसानी हो सके।