देहरादून। उत्तराखंड सरकार ने निजी स्कूलों की मनमानी पर लगाम लगाने की पूरी तैयारी कर ली है। प्रदेश के सभी स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबें लागू करने के बाद अब निजी स्कूलों के मनमाने फीस को भी काबू में लाने की तैयारी की जा रही है। सरकार अगले सत्र से फीस एक्ट लागू करने जा रही है। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने कहा कि फीस को लेकर मनमानी करने पर पहली बार में 1 लाख, दूसरी बार में 5 लाख और तीसरी बार एक्ट का उल्लंघन करने पर मान्यता रद्द करने से लेकर एनओसी तक वापस ली जा सकती है।
गौरतलब है कि शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने कहा कि स्कूल जिला और राज्य स्तरीय समिति की अनुमति मिलने के बाद ही अपनी फीस बढ़ा सकेगा। मंत्री ने कहा कि प्री-प्राइमरी से लेकर माध्यमिक तक की कक्षाओं के अलग-अलग फीस तय होगी। हर स्कूल को सत्र शुरू होने से पहले ही फीस का ब्योरा अपनी वेबसाइट पर अनिवार्य रूप से दर्ज करना होगा।
ये भी पढ़ें - एवरेस्ट मिशन की ट्रेनिंग के लिए आई बीएसएफ की महिला जवान हुई छेड़छाड़ की शिकार, आरोपी हेड काउंस्...
यहां बता दें कि शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे ने कहा कि फीस के ढांचे से सहमत नहीं होने वाले स्कूलों को भी अपनी बात रखने का मौका दिया जाएगा। ऐसे स्कूलों को सत्र शुरू होने से 3 महीने पहले अपनी बात रखनी होगी। इसके लिए जिला स्तर पर डीएम की अध्यक्षता में कमेटी गठित होगी और यही समिति फीस के नाम पर अभिभावकों को परेशान करने वाली शिकायतों की भी सुनवाई करेगी।
यहां बता दें कि जिला स्तरीय समिति के फैसलों से असहमत स्कूल राज्य स्तरीय समिति में अपील कर सकते हैं। इस समिति को एक महीने के अंदर मामले की सुनवाई कर निर्णय लेना होगा। सरकार ने फीस एक्ट का फाइनल ड्राफ्ट तैयार करने के लिए सात सदस्यीय उच्चस्तरीय कमेटी गठित कर दी है। शिक्षा मंत्री ने कहा कि एक समान शिक्षा व्यवस्था लागू करने के लिए यह काफी जरूरी है कि सभी स्कूलों का पाठ्यक्रम भी समान हो। सीबीएसई के बाद अब आईसीएसई बोर्ड से संबद्ध स्कूलों को भी इस दायरे में लाने की कोशिश की जा रही है।