देहरादून। उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों से रोजगार की तलाश में होने वाला पलायन हमेशा से एक बड़ा मुद्दा रहा है। इससे निपटने के लिए किसी सरकार ने गंभीर प्रयास नहीं किए लेकिन अब प्रदेश के पहाड़ी जिलों से होने वाले पलायन को रोकने के लिए वहां छोटे और मध्यम दर्जे के उद्योग लगाने की तैयारी की जा रही है ताकि लोगों को उनके घरों के करीब ही रोजगार मिल सके।
छोटे उद्योगों में रोजगार
गौरतलब है कि उत्तराखंड के पर्वतीय इलाके कच्चे माल के रूप में पारंपरिक अनाजों, फलों व जड़ी-बूटियों से परिपूर्ण हैं। ऐसे में इनकी प्रोसेसिंग कर मुनाफा कमाया जा सकता है वहीं नौजवानों को उनके घरों के पास ही रोजगार मिल सकेगा जिससे नौकरी की तलाश में पलायन करने वालों पर ब्रेक लगेगा। सरकार का उद्यम विभाग पहाड़ी जिलों में छोटे उद्योग स्थापित कर लोगों को रोजगार से जोड़ने का काम बड़े पैमाने पर कर रही है।
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स्वरोजगार अपनाने की प्रेरणा
आपको बता दें कि प्रदेश के उद्योग निदेशालय ग्रामीण युवाओं को सूक्ष्म उद्योग खोलने के लिए न सिर्फ प्रशिक्षण देगा बल्कि उन्हें मेंटर्स की सहायता से बैंकों से ऋण लेने एवं उद्योग स्थापित करने के बारे में विस्तार से जानकारी देगा। इतना ही नहीं सरकार पहाड़ी क्षेत्रों के छात्रों एवं युवाओं में उद्यमिता की भावना को बढ़ाने एवं उन्हें स्वरोजगार अपनाने के लिए प्रेरित करेगी। यहां बता दें कि अभी शहरी इलाकों में उद्यमियों ने अपने उद्योग लगाए हैं लेकिन भविष्य में चमोली, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी, टिहरी, पौड़ी, चंपावत, पिथौरागढ़ आदि जिलों में भी अधिक संख्या में खुलने शुरू हो जाएंगे।
एमएसएमई में पौने तीन लाख रोजगार
प्रदेशभर में स्थापित करीब 55 हजार एमएसएमई इकाइयों में 16 हजार करोड़ रुपये का निवेश हुआ है। वर्तमान में 2.72 लाख लोगों को रोजगार मिला चुका है। जबकि प्रदेश के 273 बड़े उद्योगों में 35 हजार करोड़ रुपये का निवेश है, जबकि एक लाख, एक हजार लोगों को रोजगार मिला है।