देहरादून। अपनी मांगों को लेकर लंबे समय से आंदोलन कर रहे माध्यमिक अतिथि शिक्षकों ने नियुक्ति और नियमितिकरण की मांग करते हुए एक बार फिर से प्रदर्शन तेज कर दिया है। इन शिक्षकों ने शिक्षा मंत्री के आवास का घेराव किया। शिक्षा मंत्री से बात करने के बाद शिक्षकों ने मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत से भी मुलाकात की है। सीएम ने उनकी मांगें पूरी करने का आश्वासन दिया है। इस आश्वासन के बाद अतिथि शिक्षक थोड़े नरम जरूर पड़े हैं। अतिथि शिक्षकों ने जल्द ही इस मामले को नहीं सुलझाने पर बड़े आंदोलन की चेतावनी दी है। वहीं राजकीय शिक्षकों को मनाने के लिए भी सरकार ने कई वादे किए हैं। राजकीय शिक्षक संघ ने 21 जुलाई से अपने प्रस्तावित प्रदर्शन को रोकने की बात नहीं की है।
गौरतलब है कि पुनर्नियुक्ति को लेकर अतिथि शिक्षकों ने कहा कि अगर सरकार एक सप्ताह के भीतर इस पर कोई कार्रवाई नहीं करती है तो वह आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। हालांकि सीएम के आश्वासन के बाद शिक्षकों के तेवर थोड़े नरम पड़े हैं लेकिन उन्होंने अपने प्रस्तावित प्रदर्शन को वापस नहीं लिया है।
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यहां बता दें कि शिक्षकों का कहना था कि वे 31 मार्च से सेवा से बाहर हैं। दुर्गम और दूरस्थ क्षेत्रों के अधिकतर विद्यालयों में अतिथि शिक्षक ही काम करते हैं। ऐसे में अब उनके बाहर होने से छात्र-छात्राओं की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। संघ के अध्यक्ष ने शिक्षा मंत्री के सामने करीब 5 हजार अतिथि शिक्षकों के भविष्य का मुद्दा उठाया। इसके बाद मंत्री ने इनकी मुलाकात सीएम से भी कराई। मुख्यमंत्री ने इन शिक्षकों को आश्वासन दिया कि उनके मुद्दे को जल्द सुलझाने का प्रयास किया जाएगा। अतिथि शिक्षक संघ के महामंत्री दौलत जगूड़ी ने कहा है कि एक सप्ताह में उचित फैसला न होने पर प्रदेशभर के करीब पांच हजार अतिथि शिक्षक दून में विरोध प्रदर्शन करेंगे।
स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था पर कोई असर न पड़े इसके लिए सरकार ने राजकीय शिक्षकों को भी मनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। शिक्षा सचिव डाॅक्टर भूपेन्द्र कौर औलख ने कहा कि उनकी मांगों पर जल्द से जल्द पूरा करने का आश्वासन दिया है। शिक्षक संघ ने 21 जुलाई से अपने प्रस्तावित प्रदर्शन को रोकने की बात नहीं की है। प्रदेश सरकार ने राजकीय शिक्षकों की पदोन्न्ती और छुट्टियों के लेकर भी जल्द ही विचार करने का आश्वासन दिया है।