देहरादून। हनुमानजी को संकटमोचक माना जाता है और मंगलवार एवं शनिवार को खासतौर पर उनकी पूजा की जाती है। हाल में हनुमानजी की जाति को लेकर भी काफी विवाद हुआ। क्या आपको पता है कि आमतौर पर देश के हर कोने में पूजे जाने वाले हनुमान की पूजा उत्तराखंड के एक गांव में नहीं होती है। ऐसा माना जाता है कि यहां के निवासी हनुमानजी द्वारा किए गए एक काम से आज तक नाराज हैं। आइए आज हम आपको उस द्रोणगिरी गांव के बारे में बताते हैं।
गौरतलब है कि द्रोणगिरी गांव चमोली जनपद के जोशीमठ इलाके में स्थित है। यहां के लोगों का मानना है कि हनुमानजी जिस पर्वत को संजीवनी बूटी के लिए उठाकर ले गए थे, वह यहीं स्थित था। द्रोणगिरी के निवासी जीवनदायिनी जड़ी-बूटियों की वजह से उस पहाड़ की पूजा करते थे। ऐसे में हनुमानजी के द्वारा लक्ष्मण की जान बचाने के लिए पूरे पहाड़ को ही ले जाने से यहां के निवासी नाराज हो गए। बस इसी वजह से आज भी यहां हनुमान जी की पूजा नहीं होती है। ऐसा कहा जाता है कि इस गांव में लाल रंग का झंडा लगाने पर पाबंदी है।
ये भी पढ़ें - प्रदेश सरकार बेटियों को कराएगी इंजीनियरिंग और मेडिकल का क्रैश कोर्स, सुपर-100 कोचिंग की हुई शुरुआत
मान्यताओं के आधार पर ऐसा कहा जाता है कि जब हनुमान जी बूटी लेने के लिए द्रोणगिरी पर्वत पर पहुंचे तो वे भ्रम में पड़ गए। ऐसे में उनकी मुलाकात एक वृद्ध औरत से हुई जिसने संजीवनी बूटी के लिए द्रोणगिरी पर्वत की ओर से इशारा किया। उसके बाद हनुमानजी ने पहाड़ का बड़ा हिस्सा तोड़कर वहां से उड़ गए। ऐसा भी कहा जाता है कि जिस औरत ने हनुमानजी की मदद की थी उसका सामाजिक बहिष्कार कर दिया गया था। आज भी इस गांव के आराध्य देव पर्वत की विशेष पूजा पर लोग महिलाओं के हाथ का दिया नहीं खाते हैं और न ही महिलाएं इस पूजा में मुखर होकर भाग लेती हैं।