देहरादून। उत्तराखंड सरकार के द्वारा राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त करने में जुटी हुई है लेकिन सरकारी अस्पतालों में बड़ी संख्या में डाॅक्टरों की अनुपस्थिति सामने आ रही हैं। अब सरकार ने अस्पतालों से गायब डाॅक्टरों के प्रति सख्त रवैया अपनाया है। अपनी ड्यूटी से गायब चल रहे करीब 400 डाॅक्टरों को नौकरी से हटाया जाएगा। बता दें कि ये सभी बांडधारी डाॅक्टर हैं। गुरुवार देर शाम लिए गए एक फैसले में सरकार ने कहा कि इन डाॅक्टरों को भविष्य में नौकरी भी नहीं दी जाएगी। गौर करने वाली बात है कि राज्य सरकार की ओर से दूर-दराज इलाकों में चिकित्सकों की कमी को दूर करने के लिए लगातार कदम उठा रही है।
गौरतलब है कि सचिवालय में एनएचएम की समीक्षा करते हुए सचिव नितेश झा ने कहा कि अस्पतालों में अपनी ड्यूटी से गायब डाॅक्टरों के लिए सीएमओ को जिम्मेदार माना जाएगा। उन्होंने गायब डॉक्टरों पर कार्रवाई के निर्देश देते हुए उन्हें भविष्य में नौकरी न देने को कहा। साथ ही गायब सरकारी डॉक्टरों को भी तत्काल हटाने के आदेश भी दिए हैं।
ये भी पढ़ें - नैनीताल में खुलेगा नया सीएम आॅफिस, शिकायतों के निपटारे के लिए नहीं दौड़ना होगा दून
यहां बता दें कि स्वास्थ्य सचिव ने अल्ट्रासाउंड सेंटरों में एक्टिव ट्रैकर न लगाने पर नाराजगी जताते हुए ट्रैकर न लगाने वाले सेंटरों के लाइसेंस रद्द करने के भी निर्देश दिए। सचिव ने एनएचएम व स्वास्थ्य के अफसरों को समन्वय बनाकर काम करने को कहा है।
आपको बता दें कि सरकार ने केंद्र की महत्वाकांक्षी योजना आयुष्मान भारत को बड़े ही जोर-शोर से अपने यहां लागू किया था लेकिन यहां स्थिति बिल्कुल उलट है। आयुष्मान भारत योजना से जुड़े 13 प्रतिशत अस्पतालों में अभी तक एक भी मरीज का इलाज नहीं हो पाया है। इस पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए सचिव ने एक सप्ताह के अंदर स्थिति को सुधारने के आदेश दिए हैं। सचिव ने 25 दिसंबर से आयुष्मान योजना के तहत कर्मचारियों एवं पेंशनर्स को कैशलेस इलाज देने के निर्देश दिए हैं।