देहरादून। राज्य के काॅलेजों में प्रवक्ता पदों पर नियमों की अनदेखी कर की गई नियुक्ति मामले में हाईकोर्ट सख्त हो गया है। प्रवक्ताओं की तैनाती में मानकों का उल्लंघन करने को लेकर दायर याचिका पर मुख्य न्यायाधीश केएम जोसफ और न्यायमूर्ति आलोक सिंह की संयुक्त खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए विपक्षी प्राईवेट रेस्पोंडेंट से दो सप्ताह में जवाब मांगा है। बता दें कि राज्य सरकार ने इस मामले में अपना जवाब पेश कर दिया है इसके बाद याचिकाकर्ता की ओर से दिनेश चंद्र कोठारी ने प्रति शपथ पत्र दाखिल कर दिया है।
मानकों की अनदेखी
गौरतलब है कि सचिन सेमवाल, दिनेश चंद्र कोठारी और अन्य ने इस मामले में याचिका दायर की है। इय याचिका में कहा गया कि साल 2010 में तीन बार सिर्फ संविदा के आधार पर नियुक्ति की गई। इनमें कई ऐसे अभ्यर्थी को उन पदों पर नियुक्त कर दिया जो अपात्र थे। याचिकाकर्ता ने कहा कि प्रदेश गठन के बाद उच्च शिक्षा के तहत महाविद्यालयों में प्रवक्ता पदों की नियमानुसार नियुक्ति नहीं की गई है।
ये भी पढ़ें - सिडकुल के क्षेत्रीय प्रबंधक को महिला अधिकारी को आपत्तिजनक मैसेज भेजना पड़ा महंगा, निलंबित कर म...
जवाब देने का समय
आपको बता दें कि प्रवक्ता का पद क्लास वन श्रेणी का है। ऐसे में इन पदों का चयन केवल राज्य लोक सेवा आयोग के माध्यम से हो सकता है और इसके लिए पूरे देश के अभ्यर्थी आवेदन कर सकते है। याचिकाकर्ता ने कहा कि उत्तराखंड में 700 से अधिक पदों पर संविदा के तहत की गई तैनाती को रेगुलर करने का प्रयास किया जा रहा है जबकि संविदा में खाली पड़े पदो ंके सापेक्ष 10 फीसदी तैनाती ही की जा सकती है लेकिन यहां पूरी तैनाती दी गई। शुक्रवार को हुई सुनवाई में निजी विपक्षी पक्षकारों के स्तर से जवाब नहीं दाखिल करने की जानकारी दी गई। कोर्ट ने इन्हें दो सप्ताह में जवाब देने को कहा है इनकी तरफ से जवाब नहीं मिलने पर कोर्ट सरकार के जवाब के आधार पर मामले की सुनवाई शुरू कर देगी।