नैनीताल। नैनीताल हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार के सभी विद्यालयों में एनसीईआरटी की किताबें लागू करने के फैसले को सही ठहराते हुए निजी प्रकाशकों को थोड़ी राहत दी है। कोर्ट ने सरकार को अंतरिम राहत प्रदान करने के साथ ही 21 फरवरी तथा 9 मार्च को जारी शासनादेशों के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी है। बता दें कि इन शासनादेशों में निजी प्रकाशकों के साथ सरकारी स्कूलों पर किताबें लागू नहीं करने पर कठोर कार्रवाई करने के आदेश और छापेमारी शामिल था। कोर्ट ने निजी प्रकाशकों से साफ कहा है कि यदि वह अपनी किताबें लागू करवाना चाहते हैं तो उन्हें किताबों की सूची व रेट लिस्ट राज्य सरकार तथा एनसीईआरटी को देनी होगी।
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गौरतलब है कि राज्य सरकार ने 23 अगस्त 2017 को आईसीएससी बोर्ड को छोड़कर सभी सरकारी और निजी स्कूलों में एनसीईआरटी की पुस्तकें अनिवार्य कर निजी प्रकाशकों की किताबों पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके साथ ही आदेश का पालन न करने पर दंड का प्रावधान करते हुए 15 फरवरी, 6 मार्च और 9 मार्च 2018 को तीन अन्य शासनादेश जारी कर दिए। इसके बाद निजी स्कूलों और प्रकाशकों ने इन्हें हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। कोर्ट में सीबीएसई और एनसीईआरटी ने भी सरकार का समर्थन किया था।
यहां बता दें कि सरकार ने इस शासनादेश की मुख्य वजह निजी विद्यालयों में निजी प्रकाशकों की ही किताबें महंगे दामों पर बेचा जाना बताई थी। उसका कहना था कि इससे अभिभावकों पर आर्थिक बोझ पड़ता है। सरकार ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा था कि शिक्षा का व्यावसायीकरण के लिए यदि किसी स्कूल एवं दुकान में निजी प्रकाशकों की किताबें बेची या लागू की जाती हैं तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
अब इस मामले पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की एकलपीठ ने अंतरिम आदेश पारित करते हुए सरकार को बड़ी राहत प्रदान की। कोर्ट ने कहा कि यदि किसी विषय के लिए निजी प्रकाशक की किताब की बहुत ज्यादा जरूरत है तो उसका मूल्य एनसीईआरटी द्वारा प्रकाशित पुस्तक के मूल्य के आसपास होना चाहिए। अब इस मामले में अगली सुनवाई 3 मई को की जाएगी।