देहरादून। गंगा में हो रहे प्रदूषण पर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने राज्य और केन्द्र दोनों सरकारों को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है। गंगा में हो रहे प्रदूषण पर स्वतः संज्ञान लेते हुए न्यायमूर्ति आलोक सिंह की एकलपीठ ने रजिस्ट्रार जनरल नरेंद्र दत्त को इस मामले को जनहित याचिका के रूप में दर्ज करने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही कोर्ट ने याचिका को उचित आदेश पारित करने के लिए मुख्य न्यायाधीश के एम जोसेफ के सामने पेश करने के भी निर्देश दिए हैं।
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गौरतलब है कि राज्य में ऋषिकेश और हरिद्वार में गंगा प्रदूषण की काफी शिकायतें आई हैं। इनमें कहा गया है कि गंगा में रोजाना सीवर के पानी को गिराने का सिलसिला अब भी जारी है। ऐसे में अब कोर्ट ने इस मामले में खुद ही संज्ञान लिया है और इस सिलसिले में केन्द्र और राज्य दोनों सरकारों के साथ संबंधित एजेंसियों को नोटिस जारी किया है।
यहां बता दें कि गंगा को स्वच्छ रखने के लिए हाईकोर्ट और ट्रिब्यूनल ने कई आदेश पारित किए हैं। कई योजनाएं भी चल रही हैं लेकिन गंगा में प्रदूषण पर रोक नहीं लग पाई है। प्रदेश सरकार और संबंधित विभाग इस मामले में प्रभावी कदम नहीं उठा रहे हैं। गंगा को स्वच्छ रखने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नमामि गंगे योजना बनाई है। 17 अप्रैल 2017 को इसका बाकायदा गजट नोटिफिकेशन जारी किया था। इसके आधार बनी कमेटियां अपने दायित्व का सही तरीके से निर्वहन नहीं कर रही हैं।