नैनीताल। राज्य के जिम काॅर्बेट पार्क में जंगली जानवरों के पुनर्वास को लेकर सरकारी अधिकारियों के द्वारा दी गई गलत जानकारी पर हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। बता दें कि हाईकोर्ट ने काजीरंगा की तर्ज पर कार्बेट नेशनल पार्क में घायल बाघों के पुनर्वास के लिए रेस्क्यू सेंटर बनाने का आदेश दिया है। गौर करने वाली बात है कि पहले कोर्ट ने कहा था कि अधिकारियों का ज्यादा ध्यान जानवरों से ज्यादा अतिक्रमणकारियों को बचाने पर है लेकिन जब बेजुबान जानवरों का सवाल आता है तो वे खामोश हो जाते हैं।
गौरतलब है कि कोर्ट को दी गई गलत जानकारी पर अधिकारियों ने कोर्ट से माफी मांगी है। गलत जानकारी देने पर नाराज कोर्ट ने कहा कि व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने वाले अधिकारी पूरी जानकारी के साथ ही कोर्ट में आएं। बता दें कि हिमालयन युवा ग्रामीण संस्था के द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने यह तल्ख टिप्पणी की है।
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यहां बता दें कि हिमालयन युवा ग्रामीण संस्था द्वारा दायर याचिका में कहा गया था कि जिम काॅर्बेट पार्क के किनारे रहने वाले जानवरों पर अत्याचार करते हैं। हाथियों की आंखें फोड़ने का मामला भी सामने आया था। वहीं कई बाघों की भी हत्या करने का मामला सामने आया था। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान मृत बाघों की बिसरा रिपोर्ट तलब की। हालांकि अधिकारियों ने कहा कि बिसरा रिपोर्ट उसी दिन लैब में भेज दी जाती है लेकिन कोर्ट में पेश की गई रिपोर्ट से पता चला कि बिसरा रिपोर्ट उसी दिन नहीं भेजी गई थी। गलत जानकारी पर अधिकारियों ने कोर्ट से माफी मांगी। अब इस मामले में अगली सुनवाई 14 सितंबर को होगी।