नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट प्रदेश के हड़ताल कर्मचारियों पर अब और सख्त हो गया है। शुक्रवार को कोर्ट ने सरकार को आदेश देते हुए कहा कि इनकी हड़ताल को गैरकानूनी घोषित की जाए और कर्मचारी संगठनों की मान्यता रद्द कर संगठनों पर जुर्माना लगाया जाए। कर्मचारियों की हड़ताल से आम लोगों को हो रही परेशानियों को देखते हुए कोर्ट ने इस मामले पर स्वतः संज्ञान लिया। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजीव शर्मा और न्यायाधीश मनोज तिवारी की खंडपीठ ने कहा कि हड़ताली कर्मचारी वेतन के हकदार नहीं हैं।
गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने सरकार को आदेश देते हुए कहा कि हड़ताल करने वाले कर्मचारियों पर काम नहीं तो वेतन नहीं के नियम का पालन किया जाना चाहिए। यहां बता दें कि गुरुवार को कोर्ट ने हड़ताल करने वाले कर्मचारियों पर एस्मा लगाने के निर्देश दिए थे। गौर करने वाली बात है कि प्रदेश के कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर पिछले 2 दिनों से हड़ताल कर रहे हैं। हालांकि खंडपीठ ने सरकार को कर्मचारियों की जायज मांगों को मानने के भी निर्देश दिए हैं।
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यहां आपको बता दें कि कोर्ट ने प्रदेश सरकार को सचिव की अध्यक्षता में 8 सप्ताह के अंदर एक कमेटी बनाने का निर्देश देते हुए कहा कि इस कमेटी में विभागों के प्रमुख और कर्मचारी संगठनों के प्रमुखों को भी शामिल करने को कहा है। नैनीताल हाईकोर्ट की ओर से कहा गया है कि हर 3 महीने में एक बार कमेटी की बैठक होनी चाहिए।
हाईकोर्ट ने हड़ताल करने वालों पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि राज्य में डाॅक्टर और पैरा मेडिकल स्टाफ भी हड़ताल कर रहे हैं जिन पर लोगों की जिंदगी बचाने की जिम्मेदारी होती है। शिक्षकों के हड़ताल पर जाने से शिक्षा व्यवस्था बुरी तरह से चरमरा जाती है।