नैनीताल। राज्य में सहायक शिक्षक (एलटी) की परीक्षा में सफल होने के बाद नियुक्ति पत्र का इंतजार कर रहे नौजवानों को एक बड़ा झटका लगा है। हाईकोर्ट ने इन्हें नियुक्ति पत्र देने पर फिलहाल रोक लगा दी है साथ ही सरकार और उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग से 2 सप्ताह के अंदर जवाब दाखिल करने को कहा है। बता दें कि उत्तरकाशी के रहने वाले शख्स ने परीक्षा में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए नियुक्ति पत्र जारी करने पर रोक लगाने की मांग की थी।
गौरतलब है कि पिछले साल मई में एलटी पदों पर भर्ती के लिए विज्ञप्ति जारी करते हुए 1214 पदों पर आवेदन मांगे गए थे। इस साल मई में उसका परिणाम घोषित किया था जिसमें एक छात्र के नाम दो-दो जगहों पर आ गए जिससे कई छात्रों को वंचित होना पड़ा। उत्तरकाशी के रहने वाले एक शख्स ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर परीक्षा में गड़बड़ी का आरोप लगाया और नियुक्ति पत्र जारी करने पर रोक लगाने की मांग की। परीक्षा के परिणाम घोषित होने के बाद छात्रों के प्रमाणपत्रों की जांच की प्रक्रिया अंतिम चरण में पहुंच चुकी है, चयनित 1214 उम्मीदवारों में से करीब साढ़े 7 सौ लोगों के प्रमाणपत्रों की जांच की जा चुकी है।
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यहां बता दें कि याचिका में परीक्षाफल में गड़बड़ियों का जिक्र करते हुए कहा गया कि परीक्षाफल में अभ्यर्थियों के नाम दो या तीन स्थान पर हैं। सरकार द्वारा सामान्य वर्ग की कट ऑफ 51 फीसद रखी गई जबकि आरक्षित वर्ग के चयनित अभ्यर्थियों को अंक अधिक होने के बाद भी आरक्षित श्रेणी के पद के लिए चयनित किया गया, जो नियम विरुद्ध है। गौर करने वाली बात है कि शिक्षक पात्रता परीक्षा में मेरिट के अंक भी जोड़ दिए गए। याचिकाकर्ता ने कहा कि ऐसे कई नौजवान हैं जिनका चयन गढ़वाल और कुमाऊं दोनों क्षेत्रों में हो गया इससे बड़ी संख्या में छात्र चयन से वंचित रह गए। न्यायाधीश न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की खंडपीठ ने मामले को सुनने के बाद चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र जारी करने पर फिलहाल रोक लगाते हुए सरकार से 2 सप्ताह में जवाब दाखिल करने के आदेश पारित किए हैं।