नैनीताल। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार और स्टोन क्रशर मालिकों को राहत दी है। कोर्ट ने गंगा नदी के 5 किलोमीटर के दायरे में खनन और स्टोन क्रशर पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया है। बता दें कि कोर्ट के आदेश के बाद अब खनन सरकार की पॉलिसी के अनुसार ही होगा और स्टोन क्रशर लगाए जाएंगे।
आदेश का नहीं हुआ पालन
गौरतलब है कि पिछले साल 6 दिसंबर को हरिद्वार के रहने वाले पवन सैनी ने हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी जिसमें यह कहा गया था कि रायपुर से लेकर जगजीतपुर हरिद्वार में गंगा नदी के किनारे चल रहे स्टोन क्रशर व खनन कार्य से पर्यावरण और लोगों को नुकसान हो रहा है। कोर्ट ने इस पर सुनवाई करने के बाद इन पर पूर्ण रूप से रोक लगा दी थी लेकिन सरकार ने इस आदेश का पालन नहीं किया।
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स्टोन क्रशरों को बंद करने का आदेश
आपको बता दें कि कोर्ट के आदेश के बाद प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने 3 मई 2017 राज्य मुख्य सचिव से ऐसे खनन और स्टोन क्रशर को बंद कराने को कहा था लेकिन उनके द्वारा भी इस आदेश का पालन नहीं किया गया। पीसीबी के इस आदेश का पालन नहीं होने पर मातृसदन हरिद्वार ने सरकार के खिलाफ अदालत में अवमानना याचिका दायर की। जिस पर एकलपीठ ने मुख्य सचिव से 24 घंटे के भीतर जवाब तलब किया था। इसके बाद मुख्य सचिव ने 24 अगस्त 2017 को रायपुर से जगजीत पुर तक सभी स्टोन क्रशरों को बंद करने की रिपोर्ट कोर्ट में पेश की है।
हाईकोर्ट ने दी राहत
इस आदेश को सरकार और स्टोन क्रशर मालिकों ने कोर्ट में हाई रिव्यू एप्लीकेशन के जरिए चुनौती दी। अब इस मामले पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायधीश केएम जोसफ व न्यायधीश आलोक सिंह की खंडपीठ ने गंगा नदी के किनारे से 5 किलोमीटर के दायरे में खनन कार्य व स्टोन क्रशरों पर लगी रोक हटा दी है। साथ ही सरकार को खनन पॉलिसी के अनुसार ही खनन कार्य करने के निर्देश दिए हैं।