नैनीताल। राज्य की शिक्षा व्यवस्था को लेकर हाईकोर्ट सख्त हो गया है। अल्मोड़ा के निवासी दौलतराम सेमवाल के द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने राज्य के स्कूल-कॉलेजों में शिक्षकों की उपस्थिति पर सख्ती करते हुए शिक्षकों को दिन में 3 बार हाजिरी लगाने के आदेश दिए हैं। साथ ही सरकार से सभी शिक्षण संस्थाओं में 2 साल के भीतर बायोमैट्रिक मशीन लगाने को कहा है। पर्वतीय क्षेत्रों में स्थित शिक्षण संस्थाओं में कार्यरत शिक्षकों के तबादलों के बावत भी हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है।
गौरतलब है कि अल्मोड़ा के रहने वाले दौलतराम सेमवाल (दिवंगत) की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति वीके बिष्ट व न्यायमूर्ति आलोक सिंह की खंडपीठ ने यह फैसला दिया है। बता दें कि याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कहा है कि राज्य के स्कूल-कॉलेजों में 6 से 7 घंटे की पढ़ाई निर्धारित है लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है। शिक्षण संस्थाओं में शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित की जानी चाहिए। इसके लिए शिक्षकों को दिन में 3 बार उपस्थिति दर्ज कराने के आदेश दिए हैं।
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यहां बता दें कि हाईकोर्ट ने अपने फैसले में प्रदेश सरकार को भी 2 सालों के अंदर राज्य के सभी स्कूल-काॅलेजों में बायोमैट्रिक मशीन लगाने के निर्देश दिए हैं। हाईकोर्ट ने स्कूलों और काॅलेजों के शिक्षकों के तबादले को लेकर भी एक आदेश दिया है जिसमें कहा गया है कि पर्वतीय इलाकों से हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर और देहरादून में शिक्षकों का तबादला उसी सूरत में कियरा जाएगा जब वहां 70 फीसदी तक शिक्षक मौजूद होंगे। कोर्ट ने यह भी कहा है कि एक महीने के भीतर वेबसाइट में यह ब्योरा दर्ज किया जाए कि राज्य सरकार द्वारा कौन से पाठ्यक्रमों को मान्यता प्रदान की गई है। कौन से शिक्षण संस्थान मान्यता प्राप्त हैं इसका स्पष्ट तौर पर उल्लेख करें।