देहरादून। गोमुख में बने अस्थाई झील और वहां जमा मलबे पर हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने वाडिया शोध संस्थान के वैज्ञानिकों को इसरो की मदद से वहां का दौरा कर हर 3 महीने में रिपोर्ट देने के लिए कहा है। बता दें कि दिल्ली के निवासी अजय गौतम ने इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। न्यायमूर्ति के एम जोसफ और न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा ने इस मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि अगर वहां अस्थाई झील तैयार हुई है और मलबा जमा हुआ है तो इसे वैकल्पिक तरीके से हटाया जाना चाहिए।
गौरतलब है कि पिछले साल ही गोमुख के करीब ग्लेशियर का एक बड़ा हिस्सा टूट गया था जिसके बाद वहां अस्थाई झील का निर्माण हो गया था। गर्मी की शुरुआत के बाद झील तो सूख गई लेकिन पानी की वजह से बने गड्ढे और वहां जमा हुए मलबे ने राज्य की मुसीबतें और बढ़ा दी है। याचिकाकर्ता ने कहा था कि इससे केदारनाथ की जैसी आपदा हो सकती है।
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यहां बता दें कि याचिकाकर्ता ने कहा कि उस समय झील का निरीक्षण व सर्वेक्षण किया गया जब झील पूरी तरह बर्फ से ढंकी हुई थी जबकि सही मायनों में निरीक्षण मई-जून में किया जाना चाहिए था। अजय गौतम की याचिका में कहा गया था कि ग्लेशियर के पिघलने से वहां झील बन गई थी और इससे गंगा के अस्तित्व पर खतरा पैदा हो गया है। कोर्ट ने वैज्ञानिकों को हर 3 महीनों में गोमुख का दौरा कर रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं।