देहरादून। उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों से लगातार कम होती खेती और खेतिहर मजदूरों की संख्या पर नैनीताल हाईकोर्ट ने गहरी चिंता जताई है। कोर्ट ने कहा कि राज्य में खेती और और खेतों का क्षेत्रफल लगातार कम होता जा रहा है। बता दें कि राज्य में खेती के लिए सुविधाओं की कमी और रोजगार के अवसर कम होने की वजह से ज्यादातर लोगों ने गांवों से पलायन कर लिया है। कोर्ट के आंकड़ों के अनुसार, पर्वतीय क्षेत्र से पलायन करने वाले कृषकों की संख्या दो लाख 26 हजार 950 हो चुकी है।
गौरतलब है कि पहाड़ों में एक तो खेती वाली जमीन की ही काफी कमी है। वहीं दूसरी ओर उपलब्ध जमीनों मंे से 12 फीसदी जमीन पर ही सिंचाई की सुविधा है और 68 फीसदी से ज्यादा जमीन बारिश के भरोसे ही है। ऐसे में किसानों ने अपनी खेती छोड़नी शुरू कर दी है।
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यहां बता दें कि उत्तराखंड के खेती को सबसे ज्यादा नुकसान जंगली जानवरों ने पहुंचाया है। राज्य से खेती के प्रति लोगों के कम होते लगाव पर चिंता बताते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि किसानों को उनके काम के प्रति वापस लाने के लिए उनकी पैदावार का उचित दाम दिया जाए।
गौर करने वाली बात है कि कोर्ट ने कहा कि प्रदेश में इन सब कारणों से कृषि की हालत इतनी गंभीर हो चुकी है कि बीते वर्षों में अल्मोड़ा से 36401, पौड़ी से 35654, टिहरी से 33689, पिथौरागढ़ से 22936, देहरादून से 20625, चमोली से 18536, नैनीताल से 15075, उत्तरकाशी से 11710, चंपावत से 11281, रुद्रप्रयाग से 10970 और बागेश्वर से 10073 कृषक पलायन कर चुके हैं।