नैनीताल। नैनीताल हाईकोर्ट ने जिम काॅर्बेट और राजाजी पार्क की लचर व्यवस्था पर अधिकारियों के गलत जवाब पर सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि क्यों न सारे बाघों और हाथियों को गुजरात के नेशनल पार्क में शिफ्ट कर दिया जाए। यहां बता दें कि हाईकोर्ट के आदेश पर सरकार की तरफ से जवाब पेश तो किया गया लेकिन दस्तावेज के संलग्न न होने को अदालत ने लापरवाही मानते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजीव शर्मा और न्यायमूर्ति लोक पाल सिंह की पीठ ने कहा कि सरकार पहले पारित किए गए कोर्ट के आदेश को तोड़मरोड़ कर अदालत को गुमराह कर रही है।
गौरतलब है कि अपर मुख्य सचिव के द्वारा 6 अगस्त को पेश किए गए जवाब पर नाराजगी जताते हुए 9 अगस्त को दोबारा से शपथ पत्र दाखिल करने के निर्देश दिए थे। उस समय अपर मुख्य सचिव पार्क से अतिक्रमण हटाने और टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स गठित करने की समय सीमा नहीं बता पाए थे। इसे लेकर कोर्ट ने उनसे कई सवाल पूछे थे।
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यहां बता दें कि कोर्ट ने जिम काॅर्बेट पार्क के हर जोन में 20 गाड़ियों को ही अंदर जाने देने के निर्देश दिए थे जबकि मुख्य अपर सचिव ने अपने शपथ पत्र में 100 गाड़ियों प्रवेश की जानकारी दी है। शपथ पत्र में पार्क से संबंधित रिकार्ड संलग्न होने की जानकारी दी गई जबकि वह संलग्न नहीं था। कोर्ट ने इसे सरकारी लापरवाही मानते हुए वन्य जीव प्रतिपालक और सरकारी अधिकारी से जवाब मांगा है।
गौर करने वाली बात है कि कोर्ट ने पूछा कि जिम काॅर्बेट में चलने वाले रिजाॅर्ट किस अधिनियम के तहत चलाए जा रहे हैं? स्पेशल टाइगर फोर्स काम क्यों नहीं कर रही है? पार्क के करीब रहने वाले गुर्जरांे को कब तक शिफ्ट किया जाएगा?