देहरादून। उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय (यूओयू) में पढ़ने वाले छात्रों को अब मनमाने ढंग से नंबर नहीं दिए जाएंगे। विश्वविद्यालय ने 80 से ज्यादा और 30 से कम नंबर लाने वाले छात्रों की उत्तरपुस्तिकाओं की दोबारा जांच कराएगा। यह जांच स्वयं कुलपति कराएंगे। विश्वविद्यालय की छवि को सुधारने के मकसद से यह कदम उठाया गया है।
काॅपियों की होगी दोबारा जांच
गौरतलब है कि उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों को अब तक मनमाने ढंग से नंबर दिए जाते थे। ऐसे में छात्रों का सही मूल्यांकन नहीं हो पाता था। अब विश्वविद्यालय की परीक्षाओं में 80 से ज्यादा और 30 से कम नंबर लाने वाले छात्रों की काॅपियों की जांच दोबारा से कराई जाएगी। सही स्थिति का पता लगाने के लिए कुलपति स्वयं ऐसे विद्यार्थियों की उत्तर पुस्तिकाओं का दोबारा मूल्यांकन कराएंगे।
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विशेषज्ञ करेंगे मूल्यांकन
यहां बता दें कि उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय द्वारा छात्रों को अक्सर ज्यादा नंबर देने की शिकायतें अक्सर आती रहती हैं। कुछ ऐसे विद्यार्थियों को 80 फीसद अंक मिल जाते हैं, जिनका न असाइनमेंट वर्क ठीक होता है और न ही उत्तर पुस्तिका। ऐसे में विश्वविद्यालय की छवि को सुधारने के मकसद से यह कदम उठाया गया है। इस मनमानी को रोकने के लिए कुलपति प्रो. नागेश्वर राव ऐसे विद्यार्थियों की उत्तर पुस्तिका मंगवाएंगे। संबंधित विषय के विशेषज्ञ को बुलाकर अपने सामने मूल्यांकन कराएंगे। मूल्यांकन में लापरवाही मिलने पर संबंधित शिक्षक के खिलाफ भी कार्रवाई की संस्तुति की जाएगी।
असाइनमेंट के अंक 40 से हो गए 20
मुक्त विश्वविद्यालय में अभी तक एक विषय का असाइनमेंट वर्क 40 अंकों का था। काम किसी भी तरह का हो लेकिन असाइनमेंट वर्क में अधिकतम अंक दिए जा रहे थे। इस स्थिति को रोकने के लिए विश्वविद्यालय ने अब असाइनमेंट वर्क 20 अंकों का कर दिया है। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रों नागेश्वर राव ने बताया कि उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय की ओर से दी जाने वाले दूरस्थ शिक्षा में पूरी तरह गुणवत्ता बनी रहे इस वजह से पहल की है। मनमानी को रोकने के लिए भी पुनर्मूल्यांकन कराया जाएगा।