बागेश्वर। उत्तराखंड में मौसमी बदलाव और ग्लोबल वाॅर्मिंग का उदाहरण देखने को मिला है। आमतौर पर उत्तराखंड का विशेष फल, काफल, माच-अप्रैल में पकता है लेकिन कौसानी के टीआरसी में पेड फलों से लदे हुए दिखाई दिए हैं जिनमंे से कुछ पके हुए भी है। समय से पहले फलों के पकने से वैज्ञानिकों में हैरानगी है। फिलहाल यह लोगों के लिए कौतूहल का विषय बना हुआ है।
वैज्ञानिक भी हैरान
गौरतलब है कि काफल के समय से पहले पकने को कुछ वैज्ञानिक ग्लोबल वाॅर्मिंग का असर मान रहे हैं वहीं कुछ इसे जेनेटिक चेंज मान रहे हैं। राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद के पूर्व महरनिदेशक जीएस रौतेला का कहना है कि यह आश्चर्यजनक है और ऐसा जेनेटिक बदलाव की वजह से हो सकता है। वहीं जिला उद्यान अधिकारी तेजपाल सिंह का कहना है कि अभी काफल के पकने के लायक तापमान नहीं हुआ है ऐसे में यह ग्लोबल वाॅर्मिंग का ही असर हो सकता है।
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