देहरादून। उत्तराखंड के गढ़वाल और कुमाऊं के लोगों को जल्द ही बड़ी राहत मिलने वाली है। काफी समय से एक लंबा सफर तय कर दोनों मंडलों में आने जाने वालों को अब कंडी मार्ग का तोहफा मिलने वाला है। वन मंत्री डाॅक्टर हरक सिंह रावत ने कहा कि 2 सालों के अंदर कंडी मार्ग का निर्माण हो जाएगा। 8 महीने के अंदर इस रास्ते की डीपीआर बनाने के निर्देश दिए गए हैं। करीब 2 हजार करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली यह सड़क देश की पहली ग्रीन सड़क होगी। इस सड़क का विकास होने से राज्य में पर्यटन को एक नया मुकाम मिलेगा।
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गौरतलब है कि वन मंत्री डाॅक्टर हरक सिंह रावत की मौजूदगी में इस रास्ते के विकास के लिए डीपीआर बनाने हेतु उत्तराखंड ईको टूरिज्म विकास निगम तथा नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉरपोरेशन लिमिटेड के बीच एमओयू पर दस्तखत किए गए हैं। बता दें कि एनबीसीसी, वन्य जीव संस्थान की निगरानी में डीपीआर तैयार करेगी।
यहां गौर करने वाली बात है कि डीपीआर तैयार करने से पहले राज्य वन्य जीव बोर्ड, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण अधिकरण और राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड का भी अनुमोदन लिया जाएगा ताकि बाद में परियोजना निर्माण में किसी भी तरह की दिक्कत न आए। यहां बता दें कि इस परियोजना की डीपीआर तैयार करने के लिए राज्य सरकार ने एनबीसीसी को 50 लाख रुपये की राशि दी है। अपर मुख्य सचिव डॉ. रणवीर सिंह ने बताया कि डीपीआर तैयार करते वक्त पर्यावरण एवं वन्य जीवों से जुड़े सभी पहलुओं का ध्यान रखा जाएगा। कोटद्वार से रामनगर के बीच 90 किलोमीटर सड़क के निर्माण का प्रस्ताव 1976 में लोक निर्माण विभाग द्वारा तैयार किया था इसका 40 किलोमीटर हिस्सा पहले से ही तैयार है। वन मंत्री ने बताया कि अब पाखरों से रामनगर और रामनगर से ढैला तक तकरीबन 50 किमी सड़क का निर्माण होना है। वन मंत्री ने कहा कि कंडी मार्ग के निर्माण से राज्य का आर्थिक विकास होने के साथ ही पर्यटन का भी काफी विकास होगा।