Friday, April 26, 2024

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अल्मोड़ा के ‘लक्ष्य’ ने जकार्ता में लहराया देश का परचम, एशियन जूनियर बैडमिंटन चैंपियनशिप जीतकर रचा इतिहास

अंग्वाल न्यूज डेस्क
अल्मोड़ा के ‘लक्ष्य’ ने जकार्ता में लहराया देश का परचम, एशियन जूनियर बैडमिंटन चैंपियनशिप जीतकर रचा इतिहास

अल्मोड़ा। अल्मोड़ा के लक्ष्य सेन ने इंडोनेशिया के जकार्ता में देश का परचम लहराया है। लक्ष्य ने एशियन जूनियर बैडमिंटन चैंपियनशिप जीतकर एक बार से इतिहास दोहरा दिया। भारतीय जूनियर बैडमिंटन के इतिहास में गौतम ठक्कर एवं पीवी सिंधु के बाद लक्ष्य तीसरे ऐसे खिलाड़ी बन गए हैं जिन्होंने इस चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीता है। लक्ष्य सेन ने थाईलैंड के कुंलावुत वितिदर्सन को 21-19 और 21-19 के सीधे सेटों में हराकर खिताब अपने नाम किया। पदक जीतकर इस खिलाड़ी ने न सिर्फ राज्य बल्कि पूरे देश का नाम रोशन किया है। प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने लक्ष्य सेन को इस सफलता पर बधाई दी है।

गौरतलब है कि अपनी इस जीत से बेहद खुश लक्ष्य की नजर अब 2020 में होने वाले ओलंपिक गेम्स में देश के लिए स्वर्ण पदक जीतने पर है। इसके साथ ही इसी साल अक्टूबर में होने वाले यूथ ओलंपिक के लिए भी उन्होंने अपनी तैयारियां शुरू कर दी हैं।  बता दें कि लक्ष्य के बेहतरीन प्रदर्शन की बदौलत ही केंद्र सरकार की ओर से उन्हंे 50 हजार रुपये हर महीने स्काॅलरशिप दी जा रही है। इसके अलावा ओलंपिक में उनके पदक लाने की संभावना देखते ओलंपिक गोल्ड स्वैस्ट की मदद से उन्हें प्रकाश पादुकोण अकादमी में पिछले 7 सालों से खास प्रशिक्षण भी मिल रहा है। 

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यहां बता दें कि लक्ष्य के दादाजी और पिताजी भी बैडमिंटन के अच्छे खिलाड़ी रहे हैं। लक्ष्य के पिता डीके सेन ही उनके कोच हैं और वह वर्तमान में प्रकाश पादुकोण अकादमी से जुड़े हैं। गौर करने वाली बात है कि लक्ष्य ने पिछले साल बुल्गारिया इंटरनेशनल सीरीज और हैदराबाद इंटरनेशनल सीरीज को भी जीता है। लक्ष्य ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पूरे उत्तराखंड का नाम रोशन किया है।

 

लक्ष्य से पहले 1965 में एशियन जूनियर बैडमिंटन चैंपियनशिप में भारतीय शटलर गौतम ठक्कर ने इस मुकाबले में स्वर्ण पदक जीता था। उसके बाद पीवी सिंधु 2012 में साउथ कोरिया में आयोजित इसी प्रतियोगिता में स्वर्ण जीतने वाली पहली भारतीय महिला शटलर बनीं। इस लिहाज से लक्ष्य 2018 में पुरुष एकल वर्ग में स्वर्ण जीतने वाले दूसरे खिलाड़ी बन गए हैं। 

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