चमोली। उत्तराखंड के चमोली जिले में हुए बेमौसम भूस्खलन ने लोगों की परेशानियां बढ़ा दी हैं। चमोली के आखिरी गांव झलिया में शनिवार की रात को पहाड़ों से हुए भूस्खलन में 2 मकान पूरी तरह से दब गया। दहशत में भरे ग्रामीणों ने गांव को छोड़कर मंदिर में शरण ली है। वहीं 10 मकानों में पहाड़ों का मलबा पूरी तरह से भर गया है। वहीं खेत खलिहान सब मलबे से पट गए हैं। धूप के कारण मलबे की मिट्टी का गुबार उड़ रहा है। गांव के दूर दराज इलाके में नेटवर्क के कमजोर होने की वजह से किसी तरह रविवार को प्रशासन तक खबर पहुंचाई गई इसके बाद भी अब तक राहत और बचाव का काम शुरू नहीं किया गया है।
गौरतलब है कि यह गांव बागेश्वर जिले भी लगता है। स्थानीय लोगों ने बताया कि शनिवार रात को अचानक पहाडों से पत्थर टूटकर नीचे गिरने लगे जिसमें दो मकान बुरी से दब गए। डरे-सहमे ग्रामीणों ने रात में ही अपने पशुओं को किसी तरह से सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया। ग्रामीणों का कहना है कि पत्थर के गिरने से जानवरों को काफी चोटें भी आई हैं। गांव वालों को खेत मलबे से पट गए है फसल पूर्ण नष्ट हो गई है।
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यहां बता दें कि जिला पंचायत की ओर से कहा गया कि 2013 में आई भीषण आपदा के दौरान ही यहां की पहाड़ियों में दरार आ गई थी, इस गांव को विस्थापन की सूची में भी रखा गया था लेकिन लोगों को अब तक विस्थापित नहीं किया जा सका है। गांव की हालत देखते हुए लोगों ने प्रशासन से एक बार फिर से विस्थापन की मांग की है।