देहरादून। काॅर्बेट टाईगर रिजर्व(सीटीआर) के कोर जोन में कालागढ़ बांध परियोजना की सिंचाई काॅलोनी में रहने वाले अवैध कब्जाधारकों को हटाया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश और एनजीटी की सख्ती के बाद यहां अवैध तरीके से रहने वाले 900 से ज्यादा परिवारों को हटाने के कॉलोनी को ध्वस्त कर इस क्षेत्र को रिजर्व के कालागढ़ डिवीजन का हिस्सा बनाया जाएगा। पुनर्वास नीति के तहत आने वाले परिवारों के लिए राजस्व विभाग जमीन की तलाश करेगा और बाकी को वहां से हटाया जाएगा।
सालों से रह रहे परिवार
गौरतलब है कि उत्तरप्रदेश की सिंचाई विभाग ने काॅर्बेट टाईगर रिजर्व के कोर जोन में कालागढ़ बांध परियोजना का निर्माण होने के बाद सिंचाई विभाग ने वहां रिहाइशी काॅलोनी भी बसाई थी। अलग राज्य बनने के बाद कालागढ़ बांध उत्तराखंड के हिस्से में आ गया। इस काॅलोनी में करीब 1600 परिवार सालों से रह रहे हैं। रिहाइशी काॅलोनी की वजह से वन्यजीवन पर भी खलल पड़ रहा है। ऐसे में कॉलोनी को खाली कराने की मांग लंबे समय से उठ रही है।
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एनजीटी की सख्ती के बाद उठाया कदम
आपको बता दें कि साल 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने काॅलोनी को खाली कराने के आदेश दिए थे फिर बाद में इस मामले को एनजीटी को सौंप दिया गया। एनजीटी ने भी कॉलोनी खाली कराकर इसे कालागढ़ डिवीजन में शामिल करने का आदेश दिया है। इसके बाद जब काॅलोनी की जांच कराई गई तो यह खुलासा हुआ कि यहां करीब 964 परिवार अवैध रूप से रह रहे हैं, वर्षों से रह रहे इन परिवारों को यहां से खाली करवाना एक बड़ी मुसीबत है लेकिन एनजीटी की सख्ती के बाद सरकार यह कदम उठाने जा रही है। राज्य के वन मंत्री हरक सिंह रावत ने अधिकारियों के साथ बैठक कर कालागढ़ में पार्क क्षेत्र में अवैध रूप से हुई तारबाड़ को तुरंत हटवाने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही कब्जाधारकों के संबंध में पुनर्वास नीति के तहत कार्य करने के भी निर्देश दिए हैं। यहां बता दें कि काॅलोनी में रहने वाले वे परिवार जो कब्जाधारक पुनर्वास नीति के अंतर्गत आते हैं, उन्हें चिह्नित कर पुनर्वासित किया जाएगा। बचे हुए परिवारांे को वहां से हटाकर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की जाएगी।
यह है पुनर्वास नीति
कालागढ़ में सीटीआर की भूमि से कब्जाधारकों को हटाने संबंधी कोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने उत्तराखंड पुनर्वास नीति- 2007 के तहत कब्जाधारकों के पुनर्वास का निर्णय लिया था। इस पर कुछ ने पुनर्वास नीति के तहत शपथपत्र दिया है। इनके ही पुनर्वास की प्रक्रिया प्रारंभ होगी। बैठक में बताया गया कि 964 कब्जाधारक में से 401 ने शपथ पत्र दिए हैं, जबकि 540 ने उपलब्ध नहीं कराए। कुछ कब्जाधारकों ने हाईकोर्ट से स्टे लिया हुआ है।
ऐसे हुआ कब्जा
सीटीआर के निदेशक सुरेंद्र मेहरा के मुताबिक वन विभाग ने 1968 में कालागढ़ में पार्क की भूमि उप्र सिंचाई विभाग को डैम बनाने के लिए सशर्त दी थी। डैम बनने के बाद इसे वापस किया जाना था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया और शेष भूमि पर अन्य लोगों ने कब्जा कर लिया।