देहरादून। राज्य में शिक्षकों की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रहीं हैं। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने विशिष्ट बीटीसी का कोर्स कर चुके शिक्षकों को एक बड़ा झटका दिया है। एनसीटीई ने करीब 13 हजार शिक्षकों को बैक डेट में मान्यता देने से साफ इंकार का दिया है। इसके लिए राज्य सरकार को पत्र के द्वारा सूचित भी कर दिया गया है। इसमें साफ कहा गया है कि अगर ऐसा कर दिया जाता है तो यह एनसीटीई एक्ट का उल्लंघन होगा।
मान्यता से इंकार
गौरतलब है कि उत्तराखंड में बीएड शिक्षकों की एक बड़ी तादाद विशिष्ट बीटीसी का कोर्स पहले कर चुके हैं। अब उन्हें मानव संसाधन मंत्रालय और एनसीटीई ने डीएलएड ब्रिज कोर्स करना अनिवार्य का दिया है। इससे नाराज शिक्षकों ने राज्य में धरना प्रदर्शन भी शुरू कर दिया है। ऐसा नहीं करने पर उन्हें 31 मार्च 2019 के बाद अयोग्य करार दिया जाएगा। एनसीटीई ने अब सरकार को यह सूचना देकर इन शिक्षकों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। एनसीटीई ने बैक डेट में विशिष्ट बीटीसी को मान्यता देने से इंकार कर दिया है।
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एक्ट का उल्लंघन
आपको बता दें कि एनसीटीई के अंडर सेक्रेटरी डॉ. प्रभु कुमार यादव का पत्र राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) को मिल गया है। इस पत्र में कहा गया है कि अगर उत्तराखंड में विशिष्ट बीटीसी को बैक डेट से मान्यता दी जाती है तो यह एनसीटीई एक्ट का सीधा-सीधा उल्लंघन होगा। राज्य ने वर्ष 2001 से 2017 तक मान्यता मांगी थी। निदेशक-एआरटी सीमा जौनसारी ने पत्र मिलने की पुष्टि की है।
शिक्षक 22 से आंदोलन पर अडिग
विशिष्ट बीटीसी शिक्षकों के लिए ब्रिज कोर्स की बाध्यता के खिलाफ प्राथमिक शिक्षक आंदोलन पर अडिग है। संघ अध्यक्ष निर्मला महर, महामंत्री दिग्विजय सिंह चैहान ने आज शिक्षा निदेशालय में 22 नवंबर से प्रस्तावित आंदोलन का नोटिस भी सौंपा। शिक्षकों ने संकल्प लिया है कि कोई भी शिक्षक ब्रिज कोर्स और डीएलएड के लिए आवेदन नहीं करेगा। अब राज्य सरकार केन्द्र से एक फिर से उसे मान्यता देने के लिए अनुरोध करेंगे।