देहरादून। नए शिक्षा सत्र की शुरुआत से पहले स्कूलों में छात्रों के दाखिले के साथ ही शिक्षकों की नियुक्तियों का सिलसिला भी शुरू हो गया है लेकिन निजी स्कूल शिक्षकों की नियुक्तियों में नियमों को पूरी तरह से ताक पर रखा जा रहा है। शिक्षकों का आरोप है कि निजी स्कूलों में बिना डीएलएड किए हुए लोगों की भर्ती की जा रही है जबकि डीएलएड कर चुके या करने जा रहे शिक्षकों की स्कूल अनदेखी कर रहे हैं। राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआईओएस) के पास शिक्षकों की शिकायतें भी आने लगी हैं।
गौरतलब है कि स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति के लिए यह प्रावधान है कि 10 अगस्त 2017 के बाद अध्यापन का कार्य कर रहे शिक्षकों का डीएलएड करना अनिवार्य है या डीएलएड कर रहे हों। 10 अगस्त के बाद कोई भी विद्यालय बगैर डीएलएड शिक्षकों को स्कूलों में नियुक्त नहीं कर सकता है। ऐसे में निजी स्कूलों द्वारा शिक्षकों की नियुक्ति में यह खेल कैसे खेला जा रहा है। ऐसी नियुक्ति की वजह से शिक्षा विभाग पर भी सवाल उठने शुरू हो गए हैं।
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यहां बता दें कि शिक्षकों का आरोप है कि जब नियुक्ति के लिए डीएलएड को अनिवार्य किया गया है तो इस तरह की अनदेखी कैसे हो रही है। स्कूल प्रबंधन डीएलएड करने वाले शिक्षकों का सहयोग नहीं कर रहा है जबकि ऐसे शिक्षकों की नियुक्ति को प्राथमिकता दी जा रही है जो इस योग्य नहीं हैं। एनआईओएस पास भी ऐसी शिकायतें आनी शुरू हो चुकी हैं।
फर्जी शिक्षकों की नियुक्ति पर मिल रही शिकायत पर एनआईओएस का कहना है कि शिक्षा विभाग स्कूल में नई नियुक्ति के पंजीकरण में ऐसे स्कूलों को चिह्नित कर सकता है जिसमें मानकों की अनदेखी की जा रही है। स्कूल का पंजीकरण डीएलएड के लिए हुआ है या नहीं, इससे भी प्रशिक्षितों की सही नियुक्त का पता चल सकेगा।