देहरादून। फर्जी दस्तावेजों के आधार पर शिक्षकों की नौकरी पाने वालों का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है। सरकारी स्कूलों के बाद अब मदरसा में भी संचालकों द्वारा मनमानी नियुक्ति की शिकायत मिलने के बाद अब सरकार ने उसकी भी जांच के आदेश दिए हैं। बता दें कि पूरे उत्तराखंड में करीब 700 मदरसा शिक्षक इस जांच के दायरे में आएंगे। एसआईटी जांच में दोषी पाए गए शिक्षकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया जाएगा। खास बात यह है कि बोर्ड ने मदरसों में एनसीईआरटी पाठ्यक्रम लागू करने और अंग्रेजी को अनिवार्य विषय के तौर पर लागू करने पर भी सहमति दी है।
गौरतलब है कि मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष कैप्टन आलोक शेखर तिवारी ने बताया कि केंद्र सरकार की आधुनिक शिक्षा कार्यक्रम के तहत मदरसों में धार्मिक शिक्षा के अलावा हिन्दी, गणित, विज्ञान जैसे विषयों की पढ़ाई के लिए शिक्षक नियुक्त किए गए हैं। इन शिक्षकों को सरकार की तरफ से 12 हजार रुपए प्रतिमाह का मानदेय दिया जाता है। कुछ समय से बोर्ड को इस बात की शिकायत मिल रही हैं कि कई मदरसों में मानकों को पूरा न करने वालांे को भी नौकरी दी गई है। यही वजह है कि विभाग फर्जी दस्तावेजों वाले शिक्षकों की जांच करा रहा है।
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यहां बता दें कि कैप्टन आलोक ने कहा कि अगर जरूरत होगी तो एसआईटी से भी जांच कराई जा सकती है। ऐसे में दोषी पाए जाने पर शिक्षकों और नियुक्ति देने वालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया जाएगा। कुल करीब 700 शिक्षक जांच के दायरे में हैं। बोर्ड ने मदरसों में आधुनिक शिक्षा के विषयों में एनसीईआरटी पाठ्यक्रम लागू करने और अंग्रेजी को अनिवार्य विषय के तौर पर लागू करने पर भी मुहर लगाई है। साथ संस्कृत पढ़ने के इच्छुक छात्रों के लिए शिक्षक नियुक्त करने के लिए शिक्षा विभाग को पत्र लिखा है।