देहरादून। सालों से प्रदेश के सुगम इलाके में स्थित तैनात शिक्षकों को अब दुर्गम इलाकों में जाने की तैयारी करनी पड़ेगी। राज्य सरकार द्वारा दिए गए आदेश के बाद भले ही यह मुमकिन नहीं हुआ लेकिन अब मानव संसाधन मंत्रालय की स्टेडिंग कमेटी की सिफारिशों के बाद ऐसा करना अनिवार्य होगा। आदेश में शिक्षा की गुणवत्ता के लिए सभी प्राथमिक विद्यालयों खासतौर पर दूरदराज के विद्यालयों में शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत शिक्षकों की अधिकतम तैनाती करने को कहा गया है। इसके लिए शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने के भी आदेश दिए गए हैं। ऐसे में लंबे वक्त से मैदानी इलाकों में तैनात शिक्षकों की पेशानी पर बल पड़ने शुरू हो गए हैं। साथ ही इस संबंध में एक्शन टेकन रिपोर्ट से एमएचआरडी को भी सूचित करने को कहा गया है। स्टेंडिंग कमेटी की सिफारिशों के लागू होने के बाद दुर्गम इलाकों में शिक्षकों की कमी को दूर किया जाएगा।
गौरतलब है कि विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले उत्तराखंड राज्य में सुगम क्षेत्रों में तय से अधिक संख्या में शिक्षक कार्यरत हैं जबकि दुर्गम क्षेत्रों में छात्र-शिक्षक अनुपात से कम संख्या शिक्षकों की बताई जा रही है। एमएचआरडी की खबरों के मुताबिक अब इन दूरदराज व दुर्गम के प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की कमी को दूर करना सरकार की बाध्यता हो गई है। हालांकि शिक्षा विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो राज्य में अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति के प्राथमिक शिक्षकों के 625 पद रिक्त हैं। इस बैकलॉग को भरने के सरकार की ओर से दिए जा चुके हैं।
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बता दें कि राज्य में वर्तमान में प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में तकरीबन 29 हजार शिक्षक कार्यरत हैं। बीते दिनों 10 से कम छात्र संख्या वाले प्राथमिक विद्यालयों को बंद करने के सरकार के फैसले के बाद शिक्षकों की कमी की समस्या दूर होने जा रही है सुगम क्षेत्रों में कार्यरत शिक्षकों को अब दुर्गम भेजने की तैयारी है। शासन स्तर पर एमएचआरडी के आदेशों के मुताबिक प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। वहीं प्रारंभिक शिक्षा निदेशक आरके कुंवर ने कहा कि दूरदराज के विद्यालयों में शिक्षकों के रिक्त पदों पर सरप्लस हुए शिक्षकों को समायोजित किया जाएगा।