देहरादून। अभी तक तो आपने नेताओं को सत्ता की हनक दिखाते हुए देखा या सुना होगा लेकिन उत्तराखंड मंे शहरी विकास विभाग के संयुक्त निदेशक अभिषेक त्रिपाठी ने हनक दिखाते हुए सचिवालय के राजपुर रोड की दिशा वाले गेट के आगे कार अड़ा दी और चाबी लेकर भीतर चले गए। बताया जा रहा है कि उनके पास बैकडेट का एंट्री पास था जिसके चलते सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें रोका तो उन्होंने जबर्दस्ती गेट पर ही गाड़ी अड़ा दी और चाबी लेकर दफ्तर में चले गए। काफी देर के बाद ट्रैफिक पुलिस द्वारा गाड़ी को क्रेन की मदद से हटाए जाने के बाद सचिवालय का रास्ता खुल पाया।
गौरतलब है कि शहरी विभाग के संयुक्त निदेशक अभिषेक त्रिपाठी द्वारा किए गए इस तरह का व्यवहार यही दिखाता है कि नियम और कायदे-कानून सिर्फ आम लोगों के लिए होते हैं, अधिकारियों और नेताओं के लिए इसका कोई मतलब नहीं होता है। बता दें कि अभिषेक त्रिपाठी को सचिवालय की पिछली गेट से प्रवेश करते हुए देखकर सुरक्षा कर्मियों ने उन्हें रोकने की कोशिश की लेकिन उन्होंने जबर्दस्ती अपनी गाड़ी गेट पर अड़ा दी और चाबी लेकर अंदर चले गए।
ये भी पढ़ें - सरकार प्रदेश की खूबसूरती को बनाएगी कमाई का जरिया, पूरा राज्य फिल्म सिटी के तौर पर होगा विकसित
सुरक्षा कर्मियों ने बताया कि उनके पास बैकडेट का एंट्री पास था जिसकी वजह से उन्हें रोका गया था। गाड़ी के एंट्री पास की मियाद वर्ष 2017 में खत्म हो चुकी थी। चश्मदीदों के अनुसार कर्मचारियों के आपत्ति करने पर संयुक्त निदेशक नाराज हो गए। उन्होंने कार को ठीक गेट के सामने रुकवाया और चाबी निकाल कर भीतर चले गए। भीतर जाते वक्त वो सुरक्षा कर्मियों पर बरसते भी रहे। कार के गेट के ठीक सामने खड़ी हो जाने से रास्ता बंद हो गया।
कुछ ही देर में देहरादून के डीएम एसए मुरुगेशन वहां आए। डीएम ने संयुक्त निदेशक के रवैये पर नाराजगी जताते हुए कर्मचारियों को तत्काल कार्रवाई के लिए कहा। कर्मचारियों ने इसकी सूचना ट्रैफिक पुलिस को दी ट्रैफिक पुलिस और सीपीयू क्रेन लेकर वहां पहुंची और कार को अपने साथ ले गई। सचिवालय सुरक्षा प्रभारी जीवन सिंह बिष्ट ने बताया कि इस मामले में कर्मचारियों से रिपोर्ट ली जा रही है। सचिवालय प्रशासन को भी इस घटना से अवगत कराया जाएगा।
सुरक्षा कर्मचारियों ने मामले की शिकायत शहरी विकास सचिव आरके सुंधाशु से की। सुरक्षा प्रभारी जीवन सिंह बिष्ट व अन्य सुरक्षा कर्मियों ने सुधांशु को बताया कि कार पास की मियाद खत्म होने की वजह से उन्हें रोका गया था। यह ड्यूटी का हिस्सा है। आमतौर पर कर्मी अफसरों को जाने देते हैं पर जिस प्रकार आज अभद्रता की गई, उससे कर्मचारियों का मनोबल टूटा है। इस पर शहरी विकास सचिव ने कहा कि संयुक्त निदेशक को उन्होंने ही बैठक के लिए बुलाया था। सचिव को ज्यादा गंभीरता न दिखाता देख सुरक्षा कर्मचारी मायूस होकर लौट गए।