देहरादून। राज्य में बिजली की व्यवस्था को बेहतर बनाने की तमाम सरकारी कोशिशों को विभाग के अधिकारी ही पलीता लगा रह हैं। ऊर्जा निगम के मुख्य अभियंता की रिपोर्ट में ही इस बात का खुलासा हुआ है कि निगम के अधिकारी ही बिजली की चोरी करा रहे हैं। करीब साल पर पहले भेजी गई रिपोर्ट पर किसी भी आरोपी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। उनके सभी रिपोर्टों को मुख्यालय में ही दबा दिया गया। अब सरकार के संज्ञान में मामले के आने के बाद इस पर कार्रवाई की बात कही गई है।
गौरतलब है कि ऊर्जा निगम के मुख्य अभियंता नियोजन आरएस बर्फाल ने मुख्य अभियंता वितरण हरिद्वार रहते हुए कई गोपनीय पत्र एमडी समेत निदेशक परिचालन को भेजकर बिजली चोरी से आगाह कराया था। इस पत्र में कहा गया था कि शटडाउन के नाम पर बड़े व्यापारियों को फायदा पहुंचाया जाता रहा है। उन्हें तय लोड से ज्यादा लोड पर बिजली मुहैया कराई जाती रही है।
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यहां बता दें कि मुख्य अभियंता ने कहा कि फर्नेश उद्योग से जुड़े कारखानों को फायदा पहुंचाने के लिए बिजली की चोरी कराई जाती रही है। उन्होंने कहा कि रुड़की इलाके में फर्नेश उपभोक्ताओं की खपत बढ़ी है लेकिन विभाग की ओर से खपत को कम दिखाया गया है। ऐसे में जेई, ऐई, एक्सईएन से लेकर अधीक्षण अभियंता स्तर के अफसरों की भूमिका पर सवाल उठने लगे थे। बड़ी बात यह रही कि इसके खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति के बाद भी कोई कदम नहीं उठाया गया और उल्टा इन्हें पदोन्नति भी दी गई है।
गौर करने वाली बात है कि जिन उद्योगों, ट्रांसफार्मर और फीडरों में लगे मीटरों को जांच के दायरे में रखा गया था उन्हें तोड़ दिया गया जबकि इन संदिग्ध मीटरों को तोड़ने की कोई मंजूरी उच्च स्तर से नहीं दी गई थी।