देहरादून । उत्तराखंड में अनिवार्य सेवाएं देने का बांड भरकर सामान्य छात्रों के मुकाबले मामूली फीस पर मेडिकल कॉलेज में दाखिल पाने वाले छात्रों की संख्या में कटौती का फैसला लिया गया है । खबरों के अनुसार , सरकार ने मेडिकल छात्रों द्वारा अनिवार्य सेवाएं देने संबंधी बांड में कुछ बदलाव किए हैं , जिसके अनुसार आगामी शैक्षणिक सत्र में अब केवल 100 छात्रों को ही बांड भरने की सुविधा मिलेगी । अभी राज्य के राजकीय मेडिकल कालेज में सभी 350 सीटों पर प्रवेश लेने वाले हर छात्र के लिए बांड भरकर सस्ती फीस से एमबीबीएस की सुविधा है, जिसमें बदलाव किया जा रहा है ।
फीस राहत के लिए भर देते थे बांड
बता दें कि अभी राज्य के राजकीय मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस करने वाले छात्र सस्ती फीस के चक्कर में अनिवार्य सेवाओं का बांड भर देते थे, लेकिन एक बार एमबीबीएस की डिग्री लेने के बाद बांड की शर्तों का उल्लंघन करते थे। ऐसे कई मामले में अभी भी कोर्ट में चल रहे हैं, जिस पर लंबा समय बीत जाने के बाद भी कोई ठोस फैसला नहीं आया है ।
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विभाग को दोहरा नुकसान
अनिवार्य सेवाओं के चक्कर में चिकित्सा शिक्षा विभाग को दोहरी मार पड़ती है। पहला तो छात्र मामूली फीस पर अपनी पढ़ाई कर लेते हैं , जिससे राजस्व का चुना लगता है , उल्टा बाद में जब ये छात्र बांड की शर्तों का उल्लंघन करते हैं तो वाद कोर्ट में पहुंचता है, जिसमें दोबारा विभाग का पैसा खराब होता है ।
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विभाग को प्रतिवर्ष 100 चिकित्सकों की जरूरत
असल में विभाग ने नई व्यवस्था का फैसला इसलिए लिया है क्योंकि प्रदेश में चिकित्सकों के पदों के सापेक्ष रिक्त पदों पर ही भर्ती होती है। कैडर में लगभग 2600 पद हैं, जिसमें से 80 प्रतिशत भरे हैं। आंकड़ों के अनुसार , विभाग को प्रति वर्ष 100 चिकित्सकों की जरूरत रहेगी, जिसके चलते 350 छात्रों से बांड भरवाकर विभाग ही फंस जाता है। अगर सभी चिकित्सक प्रदेश में सेवाएं देने को राजी हो जाते हैं, तो विभाग के पास उन्हें भर्ती के लिए पद ही नहीं होंगे। इसी आधार पर शासन ने तय किया है कि केवल सौ सीटों पर प्रवेश पाने वाले छात्रों को बांड भरने की सुविधा रहेगी। बहरहाल, चिकित्सा शिक्षा विभाग आगामी सत्र से यह व्यवस्था लागू करने जा रही है ।