देहरादून। उत्तराखंड से लगातार हो रहे पलायन के कारणों का पता लगाने के लिए पलायन आयोग का गठन कर दिया गया है। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में इसके गठन के आदेश जारी कर दिए गए हैं। राज्य से होने वाले पलायन को लेकर शिक्षण संस्थानों ने शोध तो काफी किए लेकिन हकीकत में कुछ नहीं हो पाया। ऐसे में अब सरकार की तरफ से पहल शुरू की गई है। पलायन आयोग का गठन होने से इस बात की उम्मीद जगी है कि पलायन पर रोक लगेगी। आयोग के कार्य, सदस्य, विभागों से समन्वय समेत अन्य मसलों को लेकर विचार किया जा रहा है और जल्द ही विस्तृत आदेश जारी कर दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री करेंगे अध्यक्षता
गौरतलब है कि राज्य के गठन से लेकर अब तक बड़े पैमाने पर पलायन हुआ है। नया राज्य बनने के बाद लोगों को उम्मीद थी कि पलायन पर रोक लगेगी। अगर आंकड़ों पर नजर डालें तो इन 17 सालों में करीब ढाई लाख घरों में ताले लग गए। बता दें कि पलायन आयोग किस तरह से काम करेगा इसपर विचार किया जाएगा। आपको बता दें कि गांवों से पलायन होने से गांव तो खाली हो ही रहे हैं शहरों पर भी जनसंख्या का दवाब बढ़ता जा रहा है। इसी को देखते हुए मुख्यमंत्री ने पलायन आयोग का गठन किया है। आयोग के गठन के लिए पहले नियोजन विभाग तैयारी कर रहा था लेकिन फिर ग्राम्य विकास विभाग को नोडल विभाग बना दिया गया। अब आयोग का विधिवत गठन किया जा चुका है। प्रमुख सचिव ग्राम्य विकास मनीषा पंवार के मुताबिक मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में पलायन आयोग के गठन का आदेश जारी कर दिया किया गया है।
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दून विश्वविद्यालय और विभाग कर रहा शोध
आपको बता दें कि पलायन को रोकने के लिए कई संस्थानों ने शोध किए लेकिन सरकार के स्तर पर कोई पहल नहीं की गई थी। अब राज्य का नियोजन विभाग और दून विश्वविद्यालय पलायन की समस्या, कारण और समाधान विषय पर शोध में जुटे हैं। प्रमुख सचिव ग्राम्य विकास के मुताबिक इनके शोध के नतीजों पर भी आयोग गौर करेगा। यहां बता दें कि हिमालयन सम्मेलन में भी पलायन का मुद्दा उठाया गया था।