देहरादून। उत्तराखंड में वर्षों से मनाए जाने वाले ऐतिहासिक झंडा जी मेला के लिए श्री दरबार साहिब मेला प्रबंध समिति की ओर से तैयारियां तेज कर दी गई हैं। बता दें कि झंडा जी मेला 6 मार्च को मनाया जाएगा। इस मेले में शामिल होने के लिए देश-विदेश की संगतें श्री दरबार साहिब पहुंचती हैं। 24 फरवरी को बिहलौलपुर के महंत बियंत दास को झंडा जी मेले का संदेशा भेजा जाएगा। मेले की तैयारियों के लिए दून में संगत को प्रसाद वितरण के लिए सादे मारकीन के गिलाफों को तैयार कर लिया गया है।
धुलाई-रंगाई का काम
गौरतलब है कि गिलाफ की धुलाई और रंगाई के बाद श्री दरबार साहिब को भेजा जा रहा है। गौर करने वाली बात है कि श्री झंडे जी पर गिलाफ की सादी, सनील और दर्शनी गिलाफ की तीन परतें चढ़ाई जाती हैं। सबसे भीतर 41 मारकीन के सादे गिलाफ होते हैं। दूसरी परत में 21 सनील के और सबसे बाहर में एक दर्शनी गिलाफ चढ़ाया जाता है। श्री दरबार साहिब की परम्परा के अनुसार श्री झंडा जी मेले में शामिल होने के लिए आने वाली संगत को सादे मारकीन के गिलाफ पर प्रसाद बांधकर दिया जाता है। संगत पूरे श्रद्धाभाव से इस प्रसाद को ग्रहण करती है।
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श्री गुरु राम राय की कर्मस्थली
यहां बता दें कि श्री झंडा जी मेला दून के इतिहास से सीधे तौर पर जुड़ा है। बताया जाता है कि श्री गुरु राम राय जी का पदार्पण यहां सन् 1679 में हुआ था। उन्होंने यहां की रमणीयता को देखते हुए डेरा जमाया था। उसी के उपभ्रंश से इस जगह को डेरादीन से डेरादून और फिर देहरादून कहा जाने लगा। देहरादून ही पूरी जिंदगी श्री गुरुराम राय की कर्मस्थली रही।