देहरादून। राज्य में जबरन धर्मांतरण करवाने पर सजा का प्रावधान करने के बाद राज्यपाल केके पाॅल ने धर्म स्वतंत्रता विधेयक को मंजूरी दे दी है। बता दें कि यह बिल गैरसैंण के बजट सत्र में पेश किया गया था। राज्यपाल की मंजूरी के बाद अब यह अधिनियम बन गया है। गौर करने वाली बात है कि राज्यपाल ने गैरसैंण (भराड़ीसैंण) के सत्र में पेश किए गए ज्यादातर विधेयकों को मंजूरी मिल चुकी है। इनमें उत्तराखंड राष्ट्रीय विधि विश्विद्यालय विधेयक, उत्तराखंड भाषा संस्थान विधेयक, उत्तराखंड कृषि उत्पादन मंडी परिषद संशोधन विधेयक, उत्तराखंड सेवानिवृत्ति लाभ विधेयक और उत्तराखंड विधान सभा विविध संशोधन विधेयक प्रमुख हैं।
गौरतलब है कि इससे पहले राज्य सरकार ने जबरन धर्मांतरण करवाने वालों पर 5 साल की जेल का प्रावधान किया है। सरकार ने ऐसे धर्मांतरण को शून्य भी घोषित करने का प्रावधान कर दिया है। महिला या फिर एससी-एसटी जाति के धर्म परिवर्तन गैर कानूनी ढंग से कराने पर सजा का प्रावधान 7 वर्ष तक किया गया है।
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इन पर होगा लागू
प्रलोभन देना (नकद, रोजगार, नि:शुल्क शिक्षा, बेहतर जीवन, दैवीय कृपा)
धमकाना (कोई व्यक्ति यदि किसी को डरा-धमका कर धर्मांतरण को विवश करता है )
षडयंत्र ( धर्मांतरण कराने के लिए किसी की सहायता करना, मनोवैज्ञानिक दबाव या फिर साजिश रचना। इसमें पारिवारिक सदस्य भी होंगे तो वे भी दायरे में आएंगे)
ये होगी प्रक्रिया
कोई व्यक्ति यदि अपना धर्म परिवर्तन करने का इच्छुक है तो उसे कम से कम एक माह पहले जिलाधिकारी को शपथ पत्र देना होगा, जिसमें उल्लेख होगा कि वह स्वयं की इच्छा से अपना धर्म परिवर्तन करना चाहता है। धार्मिक पुजारी भी सामूहिक धर्म परिवर्तन कराएंगे तो उन्हें भी एक माह पहले डीएम से अनुमित लेनी होगी। डीएम और पुलिस ऐेसे आवेदनों की जांच के बाद अनुमति देंगे।
ये होगी कार्रवाई
-धर्म परिवर्तन शून्य घोषित होगा
-न्यूनतम 3 माह और अधिकतम 5 साल तक की जेल
-जुर्माना का भी प्रावधान, संबंधित संस्थाओं का रजिस्ट्रेशन होगा निरस्त