देहरादून। देहरादून में इन दिनों नशे का बढ़ता दायरा नौजवानों को अपनी गिरफ्त में ले रहा है। ऐसे बेरोजगार नौजवान बड़ी संख्या में इसकी चपेट में आते जा रहे हैं लेकिन जौनसार के दुधौला इलाके में सेना से रिटायर हुए कैप्टन चंद्र सिंह चौहान नौजवानों में देशभक्ति की भावना जगाने और उन्हें देश की सेवा करते हुए रोजगार का जरिया बता रहे हैं। कैप्टन चंद्र सिंह अब तक करीब 400 नौजवानों को अपने खर्चे पर सेना में भर्ती होने का प्रशिक्षण दे चुके हैं। अभी भी वे इस काम में जुटे हुए हैं।
गौरतलब है कि चंद्रसिंह को उनकी बहादुरी के लिए सेना मेडल से भी नवाजा गया है। फिलहाल वे रिटायर होकर अपने परिवार की देखरेख कर रहे हैं और नशे की ओर बढ़ रहे नौजवानों में देशभक्ति की भावना जगाने के साथ ही उन्हें फौज में भर्ती होने के गुर मुफ्त में सिखा रहे हैं। चंद्र सिंह करीब 400 नौजवानों को मुफ्त में प्रशिक्षण दे चुके हैं।
बता दें कि चंद्र सिंह का जीवन भी संघर्ष से भरा हुआ रहा है। साल 1982 में वे भारतीय सेना में भर्ती हुए और ट्रेनिंग खत्म करने के बाद उन्हें पहली बार पंजाब में आतंकवाद के खात्मे के लिए चलाए जा रहे आॅपरेशन ब्लू स्टार में हिस्सा लेने का मौका मिला। इसके बाद वे देश के कई मोर्चों पर अपनी सेवाएं देने का मौका मिला। लैंसडौन में प्रशिक्षण लेने के बाद वर्ष-1983 में वह 13 गढ़वाल राइफल्स में शामिल हुए। इसके अलावा वह वर्ष-1985 में असम, नागालैंड, मिजोरम में मिजो नेशनल फ्रंट व उल्फा, बोडो आतंकियों के विरुद्ध चले सेना के ऑपरेशन में शामिल रहे। वर्ष 1987 में सरकार के शांति रक्षक सेना में उनका चयन होने से वह श्रीलंका मिशन पर गए। जहां एलटीटी ने भारतीय सेना पर जमकर गोलाबारी की जिसमें उन्होंने अपनी यूनिट के साथ जबावी कार्रवाई में आतंकियों को मार गिराया।
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दिसबंर 1990 को जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर व गांधरबल इलाके में आतंकियों के शिविर की सूचना मिलने पर चार्ली कंपनी 13 गढ़वाल राइफल्स ने इलाके की घेराबंदी कर सर्च आपरेशन चलाया। इस आपरेशन में हवलदार चंद्र सिंह चैहान को एक सेक्शन की कमान सौंपी गई। गोलाबारी में आतंकियों ने एक हथगोला सेना की टुकड़ी पर फेंक दिया। हवलदार सीएस चैहान ने अपनी जान की परवाह किए बिना सूझबूझ से उसी ग्रेनेड को वापस आतंकियों के शिविर में फेंक दिया, जिसमें पांच आंतकवादी मारे गए।
इस बहादुरी के लिए उन्हें वर्ष-1999 में सेना मेडल से सम्मानित किया गया।