देहरादून। देहरादून में प्रस्तावित रिवर फ्रंट योजना शुरू होने से पहले ही विवादों में घिर गई है। एमडीडीए की तरफ से रिस्पना नदी को पुनर्जीवन को लेकर मेकिंग ए डिफरेंस बाय बीइंग द डिफरेंस (मैड) संस्था से जुड़े छात्रों ने उसे कठघरे में खड़ा किया है। इस योजना को लेकर छात्रों एमडीडीए से कई सवाल भी पूछे हैं। पत्रकारों से बात करते हुए संस्था के अध्यक्ष अभिजय नेगी ने कहा कि रिस्पना नदी के पुनर्जीवन को लेकर जून 2011 से ही राज्य व केंद्र की सरकार को सचेत किया जा रहा था। नदी के बजाय रिवरफ्रंट पर ध्यान
गौरतलब है कि ‘मैड’ ने प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत से अप्रैल महीने में ही रिस्पना नदी के पुनर्जीवन की मांग उठाई थी। उनकी मांग के बाद सीएम ने इसे पुनर्जीवित करने का जिम्मा उठाया था। इस बात को लेकर कई सवाल उठाए हैं। संस्था का मानना है कि रिस्पना नदी को पुनर्जीवित करने से देहरादून का संतुलित विकास होगा लेकिन एमडीडीए नदी के बजाय रिवर फ्रंट बनाने पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है।
ये भी पढ़ें - अब मदरसा बोर्ड में नहीं होगा उपाध्यक्ष का पद, मदरसा शिक्षा बोर्ड एक्ट में संशोधन के बाद हुआ फैसला
ये हैं 4 सवाल
आपको बता दें कि मैड ने प्राधिकरण से 4 सवाल पूछे। अभिजय ने पूछा कि रिवरफ्रंट को विकसित करने में एनजीटी के मानकों का पालन किया जा रहा है? दूसरा सवाल यह कि क्या एमडीडीए द्वारा सिंचाई विभाग की आपत्तियों का निपटारा किया जा चुका है। तीसरा सवाल यह कि रिवरफ्रंट योजना से प्रभावित होने वाली मलिन बस्तियों के पुनर्वास के लिए क्या व्यवस्था की गई है। चैथा सवाल पूछा कि आखिर अब तक एमडीडीए द्वारा इस परियोजना के पूरे स्वरूप को सार्वजनिक क्यों नहीं किया गया है।