हरिद्वार। उत्तराखंड में हाईकोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) के द्वारा पाॅलीथिन और उससे बने उत्पाद के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने के बाद भी हरिद्वार में धड़ल्ले से इसका प्रयोग किया जा रहा है। हाईकोर्ट की सख्ती के बाद प्रशासन ने दुकानों पर छापामार भारी मात्रा में पाॅलीथिन जब्त किया है। खबरों के अनुसार नगर निगम के पास इतनी मात्रा में पाॅलीथिन जमा हो गई है कि उसके पास रखने की जगह नहीं बची है। अब निगम आयुक्त ने इसे लोक निर्माण विभाग को देने और इसका इस्तेमाल सड़क निर्माण में करने की बता कही है।
गौरतलब है कि पाॅलीथिन से बनने वाली सड़क ज्यादा टिकाऊ होती है साथ ही इसकी लागत भी कम आती है। उत्तराखंड में हाईकोर्ट और एनजीटी ने प्रतिबंध लगाया हुआ है। इसके बाद भी देवभूमि में पाॅलीथिन का धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा है। एक बार फिर से हाईकोर्ट द्वारा इस पर सख्ती बरतने के बाद जिला प्रशासन ने दुकानों पर छापेमारी कर भारी मात्रा में पाॅलीथिन जब्त किया है। भारी मात्रा में पाॅलीथिन के जमा होने पर नगर निगम ने इसे लोक निर्माण विभाग को देने का फैसला लिया है।
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यहां बता दें कि नगर निगम आयुक्त ललित नारायण मिश्रा ने कहा कि अब उनके पास पाॅलीथिन रखने की जगह नहीं है और प्रदेश में इसकी रिसाइकलिंग के लिए कोई मशीन भी नहीं है। ऐसे में उन्होंने दून के परेड ग्राउंड के पास बनी सड़क का उदाहरण देते हुए कहा कि पाॅलीथिन का इस्तेमाल सड़क निर्माण में किया जा सकता है। निगम आयुक्त ने कहा कि पाॅलीथिन से बनने वाली सड़कें काफी मजबूत होती हैं और इसमें लागत भी कम आती है।