देहरादून। उत्तराखंड के युवाओं ने हर क्षेत्र में अपने राज्य के साथ ही देश का नाम भी रोशन किया है। अब इस कड़ी में चमोली के वैज्ञानिक डाॅक्टर भगवती प्रसाद जोशी का जुड़ गया है। डाॅक्टर जोशी ने जर्मनी के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर पहली बार कार्यात्मक इलेक्ट्रोलाइट तरल पदार्थ को इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में एकीकृत करने की नई तकनीक का अविष्कार किया है। यह न्यूरोमोर्फिक कंप्यूटिंग के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसका मतलब यह हुआ कि कंप्यूटर अब इंसानों के दिमाग की बात समझकर निर्णय लेगा।
गौरतलब है कि चमोली के वैज्ञानिक डाॅक्टर भगवती प्रसाद जोशी ने प्रोफेसर मैनहार्ट और मैक्स प्लांक इंस्टिट्यूट, जर्मनी के अन्य वैज्ञानिकों के साथ मिलकर दुनिया में पहली बार इस तरह का आविष्कार किया है। डाॅक्टर भगवती प्रसाद ने बताया कि मस्तिष्क में सूचनाओं का आदान-प्रदान आयनों के माध्यम से होता है ऐसे मंे यह इंसानों के दिमाग और कंप्यूटर के बीच संबंधों को लेकर होने वाले शोध को नई दिशा मिलेगी।
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यहां बता दें कि डाॅक्टर भगवती ने साधारण नमक पानी (आयनिक साॅल्यूशन) से न सिर्फ माइक्रोस्कोपिक कैपेसिटर्स और ट्रांसिस्टर्स युक्त इंटीग्रेटेड सर्किट्स को बनाया है, बल्कि तरल पदार्थ को ठोस पदार्थ की तरह पैटर्न्स करने की तकनीक भी विकसित की हैं। उन्होंने बताया कि न्यूमाॅर्फिक कंप्यूटिंग इंसानी के दिमाग को पढ़कर सही निर्णय लेने में मदद करेगा।
दुनिया भर के प्रोफेसरों और वैज्ञानिकों ने डाॅक्टर भगवती के शोध को बहुत सराहा है। वर्तमान में डॉ. भगवती प्रसाद एक वरिष्ठ वैज्ञानिक के रूप में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय बर्कले, अमेरिका में एडवांस्ड कंप्यूटिंग के क्षेत्र में काम कर रहे हैं। डॉ. भगवती मूल रूप से ग्राम भाटियाना, जिला चमोली के रहने वाले हैं।