देहरादून उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्र में बड़ा भूकंप आ सकता है। भू वैज्ञानिकों ने उत्तराखंड हिमालय में आठ रिक्टर स्केल के बड़े भूकंप की आशंका जताई है। आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से भूकंप जोखिम प्रबंधन पर आयोजित कार्यशाला में वैज्ञानिकों ने यह आशंका जताई। उनका कहना है कि काफी लंबे समय से इस क्षेत्र में कोई बड़ा भूकंप नहीं आया है। ऐसे में इसकी संभावना ज्यादा है।
वैज्ञानिकों ने जताई आशंका
गौरतलब है कि कार्यशाला के दौरान भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के वरिष्ठ भू-वैज्ञानिक प्रो. कमल शर्मा ने कहा कि भूकंपों का इतिहास बताता है कि पिछले दो सौ सालों में आठ रिक्टर स्केल के मात्र चार या पांच भूकंप आए हैं। एक लम्बे अरसे से उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्र में आठ रिक्टर स्केल का कोई भूकंप नहीं आया है। ऐसे में अब इस क्षेत्र में बड़े भूकंप की आशंका बढ़ती जा रही है।
प्लेटों के बीच बढ़ रहा घर्षण
आपको बता दें कि वैज्ञानिकों का मानना है कि उत्तराखंड हिमालय में भूगर्भीय हलचल लगातार बढ़ रही है। अगर इस साल की शुरुआत की बात करें तो अब करीब 20 दिनों में 30 छोटे-बड़े भूकंप के झटके आ चुके हैं। इनमें से एक झटके की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 5.2 मापी गई थी। वैज्ञानिकों ने कहा कि लगातार छोटे भूकंप आने से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि यूरेशियन और एशियन प्लेट के घर्षण से लगातार भूगर्भीय एनर्जी बन रही है जो किसी बड़े भूकंप का संकेत देते हैं।
पूर्वानुमान सिस्टम नहीं कारगर
आईआईटी के भूकंप अभियांत्रिकी विभाग के वैज्ञानिक डॉ. एमएल शर्मा ने बताया कि भूकंप के लिए अर्ली वॉर्निंग सिस्टम तो तैयार किया गया है लेकिन इससे खतरे की जानकारी मात्र 70 या 80 सेकेंड पहले मिल सकती है। उन्होंने भूकंप के नुकसान से निपटने के लिए स्थायी कदम उठाने पर जोर दिया। वैज्ञानिकों ने प्रदेश में पहाड़ के अनुकूल बिलिं्डग बायलॉज बनाने की वकालत की।
राज्य में आए हालिया भूकंप के आंकड़े
दिन, स्थान तीव्रता मौत
19 अक्तूबर 1991 उत्तरकाशी 6.8 768
28 मार्च 1999 चमोली 6.4 115
भूकंप से बचने के तरीके
-निर्माण कार्यो में भूकम्परोधी तकनीक का इस्तेमाल करें।
-बहुमंजिला घरों के बजाए छोटे-छोटे घर बनाएं।
-घर ऐसे इलाकों में बनाएं, जहां पानी के निकासी की समुचित व्यवस्था हो।
-घर बनाने से पहले इंजीनियर की सलाह जरूर लें।
-मोहल्लों में पुराने और जजर्र घरों से बचाव के इंतजाम कर लिए जाएं।